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मनमानी. विभागीय सांठ-गांठ से पांच दर्जन अल्ट्रासाउंड हो रहे संचालित

पीएनडीटी एक्ट की उड़ रही धज्जियां शहर में मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर खुलेआम पीएनडीटी एक्ट की धज्जियां उड़ायी जा रही है. शहर में मौजूद रेडियोलॉजिस्ट की तुलना में कई गुणा अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हो रहे हैं. जाहिर है कि सभी सेंटर विभागीय सांठ-गांठ से ही संचालित हैं. लाइन बाजार में लगभग पांच दर्जन […]

पीएनडीटी एक्ट की उड़ रही धज्जियां

शहर में मानक विहीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर खुलेआम पीएनडीटी एक्ट की धज्जियां उड़ायी जा रही है. शहर में मौजूद रेडियोलॉजिस्ट की तुलना में कई गुणा अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हो रहे हैं. जाहिर है कि सभी सेंटर विभागीय सांठ-गांठ से ही संचालित हैं. लाइन बाजार में लगभग पांच दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालित हैं.
पूर्णिया : शहर में धड़ल्ले से चल रहे पांच दर्जन अल्ट्रसाउंड के बारे में जानकार बताते हैं कि शहर में बमुश्किल एक दर्जन भी रेडियोलॉजिस्ट मौजूद नहीं हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अल्ट्रासाउंड सेंटर कैसे संचालित हो रहा है. स्पष्ट है कि अधिकांश सेंटरों पर जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है.
व्यवसाय बन गया अल्ट्रासाउंड: अब सवाल यह है कि बिना रेडियोलॉजिस्ट के मानक विहीन सेंटर का संचालन किस प्रकार हो रहा है. जानकार बताते हैं कि विभागीय सांठ-गांठ से अल्ट्रासाउंड सेंटर आबाद है. इन मानक विहीन सेंटरों पर सड़क छाप तकनीशियनों से काम लिया जाता है. जानकार बताते है कि इन सेंटरों में जो आज तकनीशियन बन कर जांच कर रहे हैं, वे कल तक किसी नर्सिंग होम में कंपाउंडर थे, या फिर किसी अल्ट्रासाउंड सेंटर का पुरजा काटने का काम किया करता था.
दरअसल हर कोई इस धंधे को चोखा मान कर इससे जुड़ना चाहता है. ऐसे ऐरे-गैरे तकनीशियनों के माध्यम से जांच एवं रिपोर्ट तैयार किया जाता है. कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि मरीज की बीमारी कुछ होती है और रिपोर्ट कुछ और दिया जाता है. इन्हीं अधकचरे रिपोर्ट पर इलाज शुरू होता है, जो मरीजों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है.
छोटे कमरे में किया जाता है मरीजों का स्कैन
अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
लाइन बाजार में चल रहे मानकविहीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों में प्राय: हर एक सेंटरों में पीएनडीटी एक्ट का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ाया जाता है. तंग कमरे तथा प्लाइवुड की दीवारों के बीच मरीजों का स्कैन किया जाता है. जिससे मरीज समेत आसपास के लोगों में अल्ट्रावाॅयलेट किरणेें आसानी से पहुंच सकती है.
जो आम लोगों के लिए काफी खतरनाक माना जाता है. जानकारों के अनुसार ऐसे सेंटरों में भ्रूण जांच भी चोरी छिपे की जाती है. बस इन्हें भ्रूण जांच की कीमत चाहिए, नियम क्या है, इससे इनका कोई वास्ता नहीं होता है. पोस्टमार्टम रोड, लाइन बाजार चौक,शिव मंदिर रोड, बिहार टॉकिज रोड में ऐसे कई सेंटर हैं, जो इस धंधे में लिप्त हैं. किंतु इस पर अब अंकुश लगाने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. जानकार बताते हैं कि ऐसे सेंटर का उद्देश्य ही प्रतिबंधित भ्रूण की जांच करना है और यही इसकी कमाई का जरिया भी है.
जांच के समय एफ फार्म भरा जाना चाहिए, जिसे प्रत्येक माह की पांच तारीख तक सीएमओ कार्यालय में जमा कराना होता है. उस फार्म में जांच कराने वाले का नाम,पता, उम्र,फोन नंबर,बच्चों की संख्या एवं लिंग नहीं जांच करने का आश्वासन डॉक्टर द्वारा दिया जाता है. एफ फार्म को निर्धारित तारीख तक जमा नहीं करने पर पीएनडीटी एक्ट के अनुच्छेद के तहत तीन माह की सजा एवं दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है.
एक्ट के तहत जांच सेंटर में जांच के समय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षित तकनीशियन,शौचालय,निर्धारित दर तालिका,चिकित्सक का नाम व योग्यता बोर्ड,पीसी, पीएनडीटी एक्ट पुस्तिका एवं जांच कराने का संधारण पंजी होना आवश्यक है.

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