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आर्केस्ट्रा की आड़ में सजता है जस्मि फरोशी का बाजार

आर्केस्ट्रा की आड़ में सजता है जिस्म फरोशी का बाजार फालो-अपपूर्णिया. प्रतिनियुक्ति सरकारी महकमे में तो होती है, लेकिन जिस्म के बाजार में भी प्रतिनियुक्ति होती है, यह कम ही लोगों को पता होता है. देह व्यापार से जुड़ी वर्कर साल के कुछ खास महीनों में सूबे के विभिन्न हिस्से के अलावा उत्तर प्रदेश से […]

आर्केस्ट्रा की आड़ में सजता है जिस्म फरोशी का बाजार फालो-अपपूर्णिया. प्रतिनियुक्ति सरकारी महकमे में तो होती है, लेकिन जिस्म के बाजार में भी प्रतिनियुक्ति होती है, यह कम ही लोगों को पता होता है. देह व्यापार से जुड़ी वर्कर साल के कुछ खास महीनों में सूबे के विभिन्न हिस्से के अलावा उत्तर प्रदेश से सटे सीमावर्ती इलाके में प्रतिनियुक्ति पर भेजी जाती है. दरअसल यह सब कुछ आर्केस्ट्रा के नाम पर होता है. वस्तुत: आर्केस्ट्रा तो दिखावा होता है, जहां शरीर की नुमाइश होती है और नुमाइश के इस मौके पर जिस्म के सौदागर मौजूद रहते हैं. वहां इनका सौदा होता है और इन वर्करों को गंतव्य तक भेज दिया जाता है. यह सब कुछ दलालों के संरक्षण में होता है और शोषण का यह सिलसिला साल-दर-साल आज भी जारी है. तीन महीने के लिए होता है अनुबंध जीरो माइल हो या सोनौली स्थित मुजरापट्टी या फिर घोषपाड़ा, यहां की सेक्स वर्कर तथाकथित रूप से नृत्य और गीत से भी जुड़ी हुई है. इन लोगों का तीन महीने का करार तय होता है. बाहरी दलाल स्थानीय दलाल से संपर्क साधते हैं और डील तय होता है. इस दलाली में दोनों पक्ष के दलालों को अच्छी-खासी आमदनी होती है. इस स्तर पर भी सेक्स वर्करों का शोषण होता है. बाहर के दलाल वहां की पार्टी से 5,000 रुपये एक रात का तय करते हैं, जबकि यहां के दलाल को 4,000 रुपये ही दिया जाता है. खास बात यह है कि सेक्स वर्करों का हिस्सा केवल 2000 रुपये होता है. हालांकि मुजरापट्टी से जुड़ी नर्तकियों की राशि कुछ अधिक होती है. धंधे की खासियत है कि करार समाप्त होने के बाद लड़कियों को कुशल वापस पहुंचा दिया जाता है. विदेशों तक जाती है सेक्स वर्कर आर्केस्ट्रा में शामिल होने के लिए लड़कियां न केवल सूबे के विभिन्न जिले बल्कि विदेशों तक जाती है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मुजरापट्टी की दर्जनों नर्तकियों के पास पासपोर्ट है. ये नर्तकियां प्रतिवर्ष टूरिस्ट वीजा पर 03 से 04 महीने के लिए विदेश जाती हैं. इनके लिए सबसे सुरक्षित और बेहतर आमदनी का जरिया खाड़ी का देश होता है. लेकिन यह सौभाग्य गिने-चुने लोगों को ही नसीब है. जीरो माइल और घोषपाड़ा की अधिकांश वर्कर प्रांत के ही अन्य जिलों में भेजी जाती है. मुजरापट्टी की नर्तकी बेबी की हत्या अरवल में वर्ष 2012 में गोली मार कर कर दी गयी थी. दिसंबर 2014 में नर्तकी जहरी उर्फ चांदनी का मामला जिले में सुर्खियों में रहा था. जहरी तब चर्चा में आयी जब उसकी अपहरण की कोशिश धमदाहा में की गयी थी. दरअसल जहरी उर्फ चांदनी गरीबी की वजह से अब तक छह बार बिक चुकी है. कभी शादी के नाम पर तो कभी प्रेम की आड़ में जिस्म फरोशी के बाजार के रास्ते चांदनी हर बार बिकती रही. हालांकि उस पर नर्तकी का लेबल लगा था, लेकिन मुख्यत: वह जिस्म फरोशी के लिए ही प्रतिनियुक्त थी. 15 नवंबर 2012 को तत्कालीन एएसपी दीपक वर्णवाल के नेतृत्व में कटिहार मोड़ के घोषपाड़ा में सघन छापेमारी अभियान चलाया गया था, जिसमें सीतामढ़ी से गायब रूबी सहित 11 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था. चीयर गर्ल्स और रिकॉर्डिंग डांसर में प्रतिनियुक्त आजकल छोटे-छोटे कसबों में आयोजित विभिन्न मेला में चित्रहार कार्यक्रमों में सेक्स वर्करों से रिकॉर्डिंग डांस कराये जाने का प्रचलन जोरों पर है. रिकॉर्डिंग डांस तो बहाना होता है, देह व्यापार असली निशाना होता है. इस दौरान देह मंडी से लायी गयी कई लड़कियां गायब भी हो चुकी हैं. इसके अलावा हाल के दिनों में ग्रामीण स्तर पर भी क्रिकेट प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही हैं, जहां आइपीएल की तर्ज पर चीयर गर्ल्स भी बुलाये जाते हैं. वस्तुत: यह चीयर गर्ल्स जिस्म फरोशी की दुनिया से जुड़ी वर्कर होती हैं, जो आयोजकों द्वारा नये रूप में दर्शकों के सामने पेश की जाती हैं. फोटो:- 06 पूर्णिया 02परिचय:- आर्केस्ट्रा में शामिल सेक्स वर्कर

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