पूर्णिया : शिक्षा निदेशक का आदेश भी है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अवहेलना भी, बावजूद इसके प्रतिनियोजन मामले में जिले के शिक्षा विभाग के आला अधिकारी निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. दरअसल प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने गत 05 दिसंबर 2014 को आदेश जारी कर सभी नियोजित शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द करने का आदेश जारी किया था.
सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि अविलंब शिक्षकों का प्रतिनियोजन समाप्त कर मूल विद्यालय में योगदान कराया जाये. लेकिन आदेश का अब तक शत प्रतिशत अनुपालन नहीं किया जा सका है. खानापूर्ति करते हुए विभाग ने कुछ शिक्षकों का प्रतिनियोजन जरूर रद्द कर दिया, लेकिन प्रतिनियोजन का धंधा अभी भी बदस्तूर जारी है.
प्रतिनियोजन उन्हीं शिक्षकों का रद्द हुआ जो पैरवी मामले में निरीह माने जाते हैं. जिले के विभिन्न प्रखंडों में शिक्षक विद्यालय के बजाय प्रतिनियोजन पर विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत हैं.
वहीं मूल विद्यालय को छोड़ अन्य विद्यालयों में प्रतिनियोजन कराने वालों की भी कमी नहीं है, बावजूद विभाग खामोश तमाशा देख रहा है. इस खामोशी की वजह यह है कि प्रतिनियोजन के खेल में अधिकारी मालामाल होते हैं.
विभागीय उपेक्षा की सजा भुगत रहे हैं बच्चे
शिक्षकों का प्रतिनियोजन समाप्त करने की दिशा में विभागीय उदासीनता की सजा स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल कई विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षकों की संख्या काफी कम है.
ऐसे में पदस्थापित शिक्षकों के प्रतिनियोजन से पठन-पाठन कार्य प्रभावित हो रहा है. वही बच्चों के कैरियर के साथ खिलवाड़ जारी है. जाहिर है जब पढ़ाने को शिक्षक ही नहीं होंगे, तो बेहतर और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात करना भी बेमानी ही साबित होगी.
प्रतिनियुक्ति में हो रहा डीएम के नाम का इस्तेमाल
रोक के बावजूद जिले में शिक्षक प्रतिनियोजन का मामला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. वही अधिकारी ऐसे मामले में जिलाधिकारी को घसीटने से भी नहीं चूक रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बायसी प्रखंड मुख्यालय स्थित +02 उच्च विद्यालय बायसी का है.
जहां पदस्थापित जीव विज्ञान शिक्षिका बीनू उपाध्याय का प्रतिनियोजन प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय रानीपतरा कर दिया गया है. शिक्षिका के प्रतिनियोजन के बाद से यहां जीव विज्ञान के शिक्षक का पद रिक्त है. उनका प्रथम प्रतिनियोजन जुलाई 2015 में तीन माह के लिए किया गया था.
इसके उपरांत 09 सितंबर और फिर 08 दिसंबर को पुन: उनका प्रतिनियोजन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा तीन माह के लिए रानीपतरा विद्यालय में किया गया. वही शिक्षक नहीं रहने के कारण विद्यालय में जीव विज्ञान विषय में नामांकित 08 छात्र निजी ट्यूशन लेने को मजबूर हैं.