शमीम की जंग जारी, एक बार फिर मिला आश्वासन
पूर्णिया : पिछले सात माह से अपने हक के लिए व्यवस्था से लड़ रहे शमीम को मंगलवार को एक बार फिर आश्वासन ही मिला. इससे पूर्व 14 दिसंबर को जब शमीम ने अपने बच्चों के साथ जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना आरंभ किया था तो उस समय भी शमीम के हिस्से हक के बदले आश्वासन ही आया था.
आश्वासन पूरा नहीं होता देख मंगलवार को फिर शमीम एक बार नगर निगम परिसर में बच्चों के साथ धरना पर बैठ गया. शमीम के ईद-गिर्द जब मीडिया और आम लोगों की भीड़ जुटी तो नगर आयुक्त सुरेश चौधरी ने शमीम को अंदर बुलाया और उसे हाउसिंग फॉर ऑल योजना के तहत घर देने का आश्वासन दिया.
संबंधित अधिकारी को बुला कर मौके पर ही उसका फॉर्म भी भरवाया गया. अब देखना यह है कि पिछले सात महीने से अपने हक के लिए जद्दोजेहद कर रहे शमीम को घर मिलता है या आश्वासन सिर्फ आश्वासन ही बन कर रह जाता है. चक्रवाती तूफान में शमीम हुआ था बेघर गौरतलब है कि दमका निवासी मो शमीम का घर 21 अप्रैल को आये चक्रवाती तूफान की वजह से ध्वस्त हो गया था. सरकार द्वारा पीड़ितों के लिए मुआवजे की भी घोषणा की गयी, लेकिन शमीम इससे वंचित रहा.
भारतीय संविधान ने भले ही हर भारतीय नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दे रखी है, लेकिन यही अधिकार शमीम के लिए मुसीबत बन गयी. चक्रवाती तूफान में आशियाना बिखरने के बाद शमीम ने आपदा प्रबंधन द्वारा सर्वे में नियुक्त लोगों से अपनी बात क्या रखी, उनके गुस्से का शिकार हो गया और आपदा पीड़ितों के लिस्ट से उनका नाम ही छट गया.
यही से प्रारंभ हुई शमीम की बदकिस्मती, जो आज भी जारी है. वह सात महीने तक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की चौखट पर गुहार लगाता रहा, लेकिन बहरी व्यवस्था ने उसकी एक नहीं सुनी. पार्षद से लेकर डीएम तक लगायी गुहारआपदा पीड़ितों के लिस्ट में शमीम का नाम नहीं होने की खबर शमीम के लिए किसी आपदा से कम नहीं था.
वह वार्ड पार्षद से लेकर सीओ और तत्कालीन डीएम राजेश कुमार तक गुहार लगाता रहा. इसके बाद उसने डीएम पंकज कुमार पाल और बाला मुरूगन डी से भी मुआवजे के लिए गुहार लगाया. अब फिर पंकज कुमार पाल जिला पदाधिकारी हैं और 14 दिसंबर को दुबारा शमीम ने न केवल गुहार लगाया, बल्कि उनके कार्यालय के समक्ष धरना पर भी बैठ गया.
लेकिन फिर शमीम के हिस्से आश्वासन ही आया. आश्वासनों के चक्कर में समय गुजर गया और जब सबने पल्ला झाड़ लिया तो शमीम ने अपनी हक की लड़ाई सत्याग्रह के रास्ते प्रारंभ कर दी. इस दौरान शमीम मुकदमे का शिकार हुआ. बच्चे, पत्नी और खुद पेट की आग को ठंडे पानी से बुझाता रहा और सत्याग्रह के पथ पर चल कर हक की लड़ाई लड़ता रहा.
शमीम को करना होगा इंतजारमंगलवार को नगर आयुक्त के आश्वासन के बाद शमीम ने हाउससिंग फॉर ऑल के लिए फॉर्म तो भर दिया, लेकिन इंतजार की घड़ी अभी पूरी नहीं हुई है. नगर निगम द्वारा हाउसिंग फॉर ऑल के तहत अभी कार्य प्रारंभिक दौर में है. आवेदन लिए जा रहे हैं.
स्थल जांच कागजी प्रक्रिया फिर फाइल स्वीकृति वगैरह की लंबी प्रक्रिया में कितने माह लगेंगे, यह कहना मुश्किल है. लेकिन नगर आयुक्त ने यह अवश्य कहा है कि इस योजना का पहला लाभ शमीम को जरूर मिलेगा. लेकिन अब तक जो आश्वासन का हश्र हुआ है, उससे भविष्य में बहुत अधिक उम्मीद नहीं जतायी जा सकती है.
बहरहाल समस्या यह है कि इस कड़ाके की ठंड में जबकि शमीम के पास आशियाना नहीं, उसकी रातें कैसे कटेगी. 14 सितंबर को सदर एसडीएम द्वारा शमीम के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था का भी आश्वासन मिला था, जो पूरा होने का बाट जोह रहा है.