बनमनखी-बिहारीगंज रेलखंड: सफर रेलगाड़ी का, एहसास बैलगाड़ी का इस ट्रेन की बोगियां किसी अजायब घर से कम नहीं है, जो देश के किसी हिस्से में शायद ही आपको देखने को मिले. अजूबा तो यह भी है कि इस रेलखंड पर 24 घंटे में एक ही ट्रेन को छह बार दौड़ाया जाता है. मतलब एक ही ट्रेन तीन बार अप और तीन बार डाउन बन कर बनमनखी और बिहारीगंज के बीच दौड़ती है (पेज चार के लिए) जैनेंद्र कुमार ज्योति बनमनखी-बिहारीगंज रेलखंड में मौजूद है छोटी लाइन आठ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है ट्रेनट्रेन की बोगियों में रहती है सुविधा नदारद बेटिकट यात्रियों की रहती है भरमार प्रतिनिधि, बनमनखी कामयाबी की ऊंची उड़ान भर रही भारतीय रेल अब बुलेट ट्रेन की परिकल्पना को साकार करने में जुटी है तो दूसरी तरफ इस मजबूत कड़ी की एक ऐसी भी लड़ी है जो किसी अजूबे से कम नहीं है. बात बनमनखी-बिहारीगंज रेलखंड की है जहां छोटी रेलवे लाइन पर 27 किलोमीटर की दूरी तीन घंटे में तय होती है. इस ट्रेन की बोगियां किसी अजायब घर से कम नहीं है, जो देश के किसी हिस्से में शायद ही आपको देखने को मिले. अजूबा तो यह भी है कि इस रेलखंड में 24 घंटे में एक ही ट्रेन को छह बार दौड़ाया जाता है. मतलब एक ही ट्रेन तीन बार अप और तीन बार डाउन बन कर बनमनखी और बिहारीगंज के बीच संचालित होती है. तीसरा अजूबा यह है कि यहां बिना टिकट यात्रा करना प्रथा बन चुकी है. लिहाजा रेल विभाग के लिए इस रेलखंड पर ट्रेन परिचालन केवल घाटे का सौदा बन कर रह गया है. दूरी 27 किलोमीटर, अवधि तीन घंटे बिहारीगंज -बनमनखी रेल खंड की दूरी 27 किलोमीटर है. रेल ठहराव के लिए क्रमश: बनाये गये रेलवे स्टेशनों में सुखासन कोठी, औराही, सुखसेना, बहड़ारा कोठी, रघुवंशनगर, महिखंड एवं बिहारीगंज अधिकृत है, लेकिन बनमनखी से बिहारीगंज की दूरी तय करने में दर्जनों जगह रेल का ठहराव होता है. आप रेल लाइन की बगल में खड़े हो जाये और अपना हाथ उठा दे तो बस की भांति रेलगाड़ी रूक जाती है और आपको साथ लेकर चलती है. 27 किलोमीटर की दूरी तय करने में रेलगाड़ी को लगभग तीन घंटे का समय लग जाता है. मजे की बात यह है कि बनमनखी स्टेशन से आप सुखासन कोठी का टिकट ले या बिहारीगंज का भाड़ा के रूप में मात्र 10 रुपया ही भरना पड़ता है. अगर आप बीते दिनों की सवारी बैलगाड़ी से जुड़ी यादों को ताजा करना चाहते हैं तो इस रेलखंड पर आप ट्रेन में सफर कर बैलगाड़ी का मजा ले सकते हैं. सुविधा नदारद, ट्रेन में भीड़ खचाखच इस रेल खंड पर चलनेवाली एकमात्र ट्रेन में किसी भी प्रकार की सुविधा नदारद है. बोगी में लगी लकड़ी की सीट अपने अस्तित्व की अंतिम लड़ाई लड़ रही है. शौचालय के फाटक गायब हैं या फिर जर्जर हैं. शौचालय में पानी की कल्पना ही बेमानी है. ट्रेन में पेयजल की सुविधा की तो सोचिए ही नहीं. शाम के समय जब ट्रेन खुलती है तो केवल इंजन में ही रोशनी नजर आती है. पूरी बोगी में मुंगफली के छिलके, गुटखे के रैपर और बीड़ी की टोंटी बिखरी नजर आती है. ट्रेन की बोगी की संख्या करीब 8 से 10 की होती है. इन सारी बोगियों में यात्री खचाखच भरे होते हैं. सोमवार को प्रत्येक सप्ताह लगनेवाला मवेशी हाट के दिन तो इस ट्रेन की हालत देखने लायक होती है, जब यात्री ऊपर से नीचे तक भरे होते हैं. सफाई के लिए एक स्वीपर तैनात है जो 24 घंटे में एक बार ट्यूबवेल से पानी भर कर बोगी की सफाई कर दिया करता है. रेलवे स्टेशन बना है जुआरियों का अड्डा इस रेल खंड पर स्थापित रेलवे स्टेशन शराबियों एवं जुआरियों के अड्डे के रूप में तब्दील हो चुका है. हाल ही में सहरसा -पूर्णिया रेल खंड पर परिचालन बहाल किये जाने को लेकर अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान बातें सामने आयी. इस संबंध में रेल इंस्पेक्टर विद्या सागर पांडेय ने बताया कि बिहारीगंज सहित कई स्टेशनों पर शराबियों एवं जुआरियों का अड्डा बना हुआ है. साथ ही रेल की जमीन को दबंगों द्वारा अतिक्रमित कर लाभ लिया जा रहा है. इस रेलखंड में सुरक्षा भी भगवान भरोसे है. गाहे-बगाहे ही इस रेलखंड में ट्रेन में पुलिस नजर आती है. ऑनली वन ट्रेन सिस्टम के तहत होता है परिचालन यह संभवत: देश का इकलौता रेलखंड है जहां वर्ष 1990 से ही ऑनली वन ट्रेन सिस्टम के तहत परिचालन हो रहा है. इस सिस्टम के मुताबिक बनमनखी या बिहारीगंज से किसी भी ओर आने या जानेवाली ट्रेन जब तक अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंचेगी तब तक इस ट्रेन पर दूसरे ट्रेन का परिचालन नहीं होगा. यहां पर ना तो कोई सिगनल मेन होता है ना ही सिगनल ही है. सिगनल भी खराब और टूटी-फूटी स्थिति में है. बनमनखी से बिहारीगंज जाने के लिए 9 बजे सुबह, 02 बजे दिन एवं 7.30 बजे शाम में रेल का परिचालन किया जाता है जबकि बिहारीगंज से बनमनखी आनेवाली ट्रेन का परिचालन 8 बजे सुबह, 1 बजे दिन तथा 6 बजे शाम में होती है. इस रेलखंड पर अधिकृत रेलवे स्टेशन औराही, बड़हराकोठी, रघुवंशनगर एवं बिहारीगंज के स्टेशन मास्टर से मैगनेटो सिस्टम से संपर्क स्थापित किया जाता है. इस सिस्टम से स्टेशन मास्टरों को यह सूचना दी जाती है कि बनमनखी से बिहारीगंज या बिहारीगंज से बनमनखी की ओर जानेवाली अपने निर्धारित समय से खुल चुकी है. निर्धारित समय में ट्रेन के आवागमन में देरी होने पर ट्रेन की देरी की खोज खबर आरंभ कर दी जाती है.घाटे का सौदा है इस रेलखंड पर परिचालन इस रेल खंड पर सफर करनेवाले यात्री तो देर-सबेर अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच ही जाते हैं लेकिन रेल विभाग को परिचालन से घाटे के अलावा कुछ नहीं हासिल होता है. यात्रियों में बेटिकट यात्रियों की संख्या बहुतायत होती है. पूरी ट्रेन में टिकट कटा कर चलनेवालों की संख्या उंगली पर गिना जा सकता है. रेल विभाग की माने तो इस रेलखंड पर टिकट बुकिंग की तुलना बस बुकिंग से भी नहीं की जा सकती क्योंकि 300 से 400 रुपया का आंकड़ा छुना भी असंभव सा होता है जबकि एक बार ट्रेन को इस रेल खंड पर अप और डाउन कराने में 27 किलोमीटर की दूरी को पार करने में 300 लीटर डीजल की खपत होती है. कुल मिला कर इस रेलखंड पर परिचालन पूरी तरह घाटे का सौदा साबित हो रहा है. हालांकि इसके लिए कसूरवार रेल महकमा भी है क्योंकि बेटिकट यात्रियों के खिलाफ कभी भी सख्ती से अभियान नहीं चलाया जाता है. फोटो: 16 पूर्णिया 1-बनमनखी-बिहारीगंज रेल खंड में परिचालित ट्रेन 2-बिना फाटक का शौचालय. 3-खराब पड़ा सिगनल.
बनमनखी-बिहारीगंज रेलखंड: सफर रेलगाड़ी का, एहसास बैलगाड़ी का
बनमनखी-बिहारीगंज रेलखंड: सफर रेलगाड़ी का, एहसास बैलगाड़ी का इस ट्रेन की बोगियां किसी अजायब घर से कम नहीं है, जो देश के किसी हिस्से में शायद ही आपको देखने को मिले. अजूबा तो यह भी है कि इस रेलखंड पर 24 घंटे में एक ही ट्रेन को छह बार दौड़ाया जाता है. मतलब एक ही […]
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