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आज भी लालटेन के सहारे बसर कर रहे हैं ग्रामीण

आज भी लालटेन के सहारे बसर कर रहे हैं ग्रामीण कसबा. जमाना इंटरनेट और मोबाइल का है, लेकिन सब्दलपुर पंचायत की हजारों की आबादी आज भी लालटेन युग में जी रहे हैं. खासकर डंगराहा, ढोलबज्जा, तालझाड़ी, शिकारपुर, दियारी के अलावा नगर पंचायत का हिस्सा मरोचा, महादलित टोला और मुसलमान टोला बिजली की रोशनी से दूर […]

आज भी लालटेन के सहारे बसर कर रहे हैं ग्रामीण कसबा. जमाना इंटरनेट और मोबाइल का है, लेकिन सब्दलपुर पंचायत की हजारों की आबादी आज भी लालटेन युग में जी रहे हैं. खासकर डंगराहा, ढोलबज्जा, तालझाड़ी, शिकारपुर, दियारी के अलावा नगर पंचायत का हिस्सा मरोचा, महादलित टोला और मुसलमान टोला बिजली की रोशनी से दूर हैं. सरकार भले ही घर-घर बिजली पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन इन गांवों में आज भी शाम ढ़लते ही घुप अंधेरा छा जाता है. स्थानीय लोगों ने गांव को रोशन करने के लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक को आवेदन दिया, लेकिन अंधेरा समाप्त नहीं हुआ. ग्रामीणों के अनुसार, सब्दलपुर पंचायत में आदिवासी समुदाय के सौ से अधिक परिवार रहते हैं. इसी पंचायत में शेरशावादी टोला भी शामिल है. वहीं नगर पंचायत के मरोचा गांव में महादलित समुदाय के साथ-साथ अलपसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं. इसके बावजूद भी राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत लोगों को विद्युत सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. ग्रामीण मो कुरवान, सरपंच प्रतिनिधि सलीम, जदयू अल्पसंख्यक के अ. मतीन, समाज सेवी शमशाद व नसीम साह आदि बताते हैं कि बिजली समस्या को लेकर विधायक, सांसद व जिलाधिकारी को आवेदन दिया गया है. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि मोबाइल चार्ज करने के लिए भी दूसरे टोला का रूख करना पड़ता है. फोटो: 14 पूर्णिया 15परिचय-विद्युत विहीन गांव

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