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विभागीय पेंच में अधूरी पड़ी है विकास योजनाएं

विभागीय पेंच में अधूरी पड़ी है विकास योजनाएं पूर्णिया. सरकार के स्तर पर विकास योजनाओं को सरजमी पर उतारने के लिए कवायद जारी रहती है. इसका परिणाम भी देखने को मिलता रहा है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जिस गति से विकास योजनाओं को फलीभूत होना चाहिए, वह नहीं हो पाता है. […]

विभागीय पेंच में अधूरी पड़ी है विकास योजनाएं पूर्णिया. सरकार के स्तर पर विकास योजनाओं को सरजमी पर उतारने के लिए कवायद जारी रहती है. इसका परिणाम भी देखने को मिलता रहा है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि जिस गति से विकास योजनाओं को फलीभूत होना चाहिए, वह नहीं हो पाता है. इसकी वजह यह है कि विभागीय सामंजस्य के अभाव में कई योजनाएं मंथर गति से चलती है और कई दम तोड़ देती है. शहरी क्षेत्र में कुछ ऐसे ही हालात देखने को मिल रहे हैं. दरअसल विभागीय बाबुओं द्वारा एक दूसरे के माथे ठिकरा फोड़ इन कार्यों में पेंच फंसा दिया जाता है. अलबत्ता सड़क, पानी, बिजली, नाला जैसी महत्वपूर्ण एवं मूलभुत सुविधाओं पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद आम आदमी इनसे मिलने वाली सुविधाओं से वंचित है. जाहिर है कि लाखों, करोड़ों के खर्च के बावजूद आम लोग सुविधा से वंचित हैं, जिस पर उनका हक है. केस स्टडी 1दो विभागों के पेंच में फंसा है स्वच्छ पेयजल व्यवस्था. गुलाबबाग के मेला ग्राउंड में लाखों की लागत से बना पानी टंकी पिछले पांच वर्षों से बन कर खड़ा है. पानी आपूर्ति के नाम पर शहर के महज एक कोने में पाइप लाइन बिछा कर इस योजना को पीएचइडी ने भगवान भरोसे छोड़ दिया. गौरतलब है कि वाटर फिल्टर से लैस पानी टंकी को चालू करने को लेकर स्थानीय लोगों के प्रयास के बाद पीएचइडी ने सप्लाई कार्य नगर निगम को सौंपे जाने की बात कह पल्ला झाड़ लिया. वहीं निगम आयुक्त सुरेश चौधरी का कहना कि यह कार्य पीएचइडी का है. निगम का कार्य केवल कनेक्शन का आदेश देना है. विडंबना तो यह है कि गुलाबबाग में पेयजल सप्लाई को लेकर सामाजिक संगठनों द्वारा सांसद, विधायक, विभागीय मंत्री एवं जिला समाहर्ता को आवेदन सौंपे जाने के बावजूद भी गुलाबबाग के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ.फोटो:- 11 पूर्णिया 15परिचय:- बेकार पड़ा जलमीनार केस स्टडी -2विद्युत विभाग के लापरवाही से फोर लेन निर्माण में हो रहा है विलंब. परेशानी चाहे जो भी विद्युत विभाग का बहाना बने लेकिन यह भी सत्य है कि तकरीबन एक सप्ताह पहले तत्कालीन डीएम बाला मुरूगन डी ने सड़क निर्माण तेज करने के साथ विद्युत विभाग को सड़क निर्माण कार्य के जद में आने वाले विद्युत खंभों को हटाने का निर्देश जारी किया गया था. लेकिन सप्ताह से अधिक दिन गुजर गये, बिजली का खंभा बीच सड़क में आज भी खड़ा है. विद्युत विभाग एक तरफ अपना राग अलाप रहा है वहीं दूसरी तरफ निर्माण एजेंसी विद्युत विभाग को कसूरवार ठहरा रही है. इन दोनों के आपसी खींच तान के बीच आम राहगीर परेशान हैं. गौरतलब है कि इन दिनों ठंड के साथ धुंध भी अपना तेवर दिखाने लगा है. ऐसे में आधी-अधूरी बनी सड़क पर सफर करना मौत को आमंत्रण देने के बराबर है. जिस उद्देश्य से सिक्स लेन का निर्माण किया जा रहा है, वह धुंधली नजर आने लगी है. फोटो:- 11 पूर्णिया 16परिचय:- सड़क पर खड़ा बिजली खंभा केस स्टडी-3पूर्णिया-गुलाबबाग मार्ग पर अवस्थित रेल ओवरब्रिज के पास सड़कें टूटी है तो हमेेशा अंधेरा छाया रहता है. इस वजह से यह क्षेत्र अपराधियों के लिए आरामगाह बन गया है. गत वर्ष यहां फारबिसगंज के एक मसाला व्यवसायी की हत्या कर अपराधी नकदी लूट ले गये थे. आर्थिक बाजार, कृषि मंडी तक पहुंचने के लिए किसान, व्यापारी तथा व्यवसायी इसी रास्ते से आते-जाते हैं. यहां स्थिति यह है कि इस ओवरब्रिज पर लगे वेपर पिछले चार वर्षों से खराब है. ब्रिज के दोनों तरफ सड़कें टूटी है. विडंबना यह है कि सड़क को लेकर पीडब्लूडी पुल निगम का मामला बता कर पल्ला झाड़ लेता है. वहीं पुल निगम रेलवे को इसका जिम्मेवार ठहरा कर खुद का पल्ला झाड़ लेता है. इतना ही नहीं इस रास्ते सफर करने वाले जिला प्रशासन के वरीय अधिकारियों ने भी कभी यहां रोशनी व आम आदमी की सुविधा को लेकर पहल नहीं की. अलबत्ता प्रयासों के अभाव में लाखों के वेपर सड़ रहे हैं. रोशनी राहगीरों को नसीब नहीं हो रही है. फोटो:-11 पूर्णिया 17परिचय:- रेलवे ओवरब्रिज

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