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चुनावी अखाड़े में सभी दलबदलू हुए धराशायी

चुनावी अखाड़े में सभी दलबदलू हुए धराशायी पूर्णिया. राजनीति के शतरंजी बिसात पर असंभव कुछ भी नहीं होता है और यहां न तो कोई दोस्त होता है और न ही कोई दुश्मन होता है. लिहाजा यहां दलीय प्रतिबद्धता बेमानी होती है. इस विधानसभा चुनाव 2015 में भी मौकापरस्ती का तमाशा सरेआम हुआ और चुनावी अखाड़े […]

चुनावी अखाड़े में सभी दलबदलू हुए धराशायी पूर्णिया. राजनीति के शतरंजी बिसात पर असंभव कुछ भी नहीं होता है और यहां न तो कोई दोस्त होता है और न ही कोई दुश्मन होता है. लिहाजा यहां दलीय प्रतिबद्धता बेमानी होती है. इस विधानसभा चुनाव 2015 में भी मौकापरस्ती का तमाशा सरेआम हुआ और चुनावी अखाड़े के पहलवानों ने एजेंडा, प्रतिबद्धता और गिले-शिकवे भुला कर अपनी सहूलियत के अनुसार अपना रास्ता अख्तियार किया. किसी ने दूसरे दल का दामन थामा तो किसी ने निर्दलीय होना ही मुनासिब समझा. लेकिन जनता ने सभी दल बदलूओं को सिरे से खारिज कर दिया. इस प्रकार चुनावी दंगल में महागंठबंधन और एनडीए को ही मतदाताओं ने पहचान दी. जिले के अमौर विधानसभा क्षेत्र में जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी रहे बाबर आजम इससे पूर्व राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े हुए थे. टिकट पाने की उम्मीद समाप्त हुई तो जअपा के प्रत्याशी बन गये और कुल 1763 मत प्राप्त कर अपनी जमानत भी गंवा ली. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी रहे मो मजहरूल बारी भी पूर्व में भाजपा से जुड़े हुए थे और 1333 मतों से संतोष करना पड़ा. शिवसेना प्रत्याशी अनिमा दास के पति अखिलेश दास भी पूर्व में भाजपा से जुड़े हुए थे. उन्होंने अपनी जगह पत्नी को उतारा और वे तीसरे स्थान पर रही. वहीं बायसी विधानसभा में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे मुकेश कुमार यादव भी पूर्व में भाजपा से जुड़े हुए थे. उन्हें कुल 2875 मत प्राप्त हुए और अपनी जमानत गंवा दी. तीसरे स्थान पर रहे जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी पूर्व विधायक सैयद रूकनुद्दीन पार्टी प्रत्याशी बनने से पूर्व जदयू से जुड़े रहे थे. 21,404 मत लाकर भी वे अपनी जमानत नहीं बचा सके. हाल तक भाजपा से जुड़े रहे और अखाड़े में निर्दलीय प्रत्याशी विनोद कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन चुनाव हार गये. उन्होंने 28,282 मत पाकर दूसरा स्थान हासिल किया. कसबा विधानसभा में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भाग्य आजमाने वाले संजय कुमार मिर्धा चुनाव पूर्व तक भाजपा से जुड़े रहे थे. उन्हें कुल 4777 मत प्राप्त हुआ और वे तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि उनकी जमानत नहीं बच सकी. बनमनखी विधानसभा क्षेत्र से एनसीपी उम्मीदवार बने रामदेव ऋषिदेव पूर्व में कांग्रेस से जुड़े थे और उन्होंने 1749 मत प्राप्त कर 11वां स्थान प्राप्त किया. जबकि भाजपा के बागी उम्मीदवार और निर्दलीय प्रत्याशी देव नारायण रजक 5507 मत पाकर भी जमानत नहीं बचा सके. रूपौली विधानसभा क्षेत्र से जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी किरण देवी टिकट की घोषणा होने से पहले भाजपा की दावेदार थी. बेटिकट हुई तो जन अधिकार पार्टी में शामिल हो गयी और महज 3639 वोट ही प्राप्त कर सकी. वहीं पूर्व विधायक शंकर सिंह ने लोजपा से त्यागपत्र देकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दावेदारी प्रस्तुत की. श्री सिंह ने 34,793 मत प्राप्त किया और खुशकिस्मती रही कि उन्होंने अपनी जमानत भी बचा ली. जबकि पूर्व विधायक सूर्य नारायण यादव को केवल 2043 मतों से संतोष करना पड़ा. धमदाहा विधानसभा क्षेत्र में दलबदलूओं की भरमार रही. इस सीट से भाजपा के प्रबल दावेदार दिलीप कुमार यादव ने बगावत कर जन अधिकार पार्टी का दामन थाम लिया. 12,664 मत प्राप्त कर वे तीसरे स्थान पर तो रहे, लेकिन अपनी जमानत नहीं बचा सके. निर्दलीय प्रत्याशी ज्योति रानी भी भाजपा के टिकट के दावेदारों में शामिल थी. बेटिकट होने के बाद स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ कर 4135 मत प्राप्त की और पांचवें स्थान पर संतोष करना पड़ा. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी निरंजन कुमार सिंह रालोसपा के टिकटार्थियों में शामिल थे. रालोसपा से निराशा मिली तो निर्दलीय चुनाव लड़ कर 2086 मत हासिल कर 14वें स्थान पर रहे. वहीं भाजपा के ही दावेदारों में से एक तहमूल मंसूरी ने भाजपा छोड़ झारखंड मुक्ति मोरचा को अपना नया आशियाना बनाया. लेकिन 3650 मत हासिल कर आठवें स्थान पर रहे और जमानत भी लूटा बैठे. पूर्णिया विधानसभा क्षेत्र में भी बागियों की भरमार रही, लेकिन अंतत: निराशा ही हाथ लगी. एनसीपी के उम्मीदवार दिवाकर चौधरी जदयू कोटे से टिकट के दावेदार थे. चुनाव लड़ना था तो एनसीपी का दामन थाम लिया और 1539 मत प्राप्त कर सातवें स्थान पर रहे. कांग्रेस कोटे से टिकट के आकांक्षी रहे कर्नल अक्षय यादव समाजवादी साइकिल पर सवार हो गये, लेकिन उन्हें 1321 मतों से ही संतोष करना पड़ा. जन अधिकार पार्टी के उम्मीदवार अरविंद कुमार उर्फ भोला अंत समय तक कांग्रेस कोटे से टिकट के दावेदार थे. बेटिकट होने के बाद जन अधिकार को अपनाया और 2670 वोट पाकर पांचवें स्थान पर रहे. वहीं स्वतंत्र प्रत्याशी रामचरित्र यादव जो कांग्रेस कोटे से टिकट के प्रबल दावेदार थे, को 7614 मत हासिल हुए और वे तीसरे स्थान पर रहे. जबकि पूर्व में भाजपा से जुड़े और मैदान में स्वतंत्र प्रत्याशी राकेश कुमार को महज 679 मतों से संतोष करना पड़ा.

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