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इलेक्ट्रॉनिक बल्बों के बीच जलेंगे उम्मीद के दीये

इलेक्ट्रॉनिक बल्बों के बीच जलेंगे उम्मीद के दीये पूर्णिया. दीपों के पर्व दीपावली में अब महज कुछ ही दिन बांकी है. बाजारों में रंगीन एवं आकर्षक इलेक्ट्रॉनिक बल्बों का बाजार सजा है. बड़ी इमारतों, घरों एवं दुकानों को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है. बावजूद इसके बाजार में परंपरागत मिट्टी के दीप की दुकानें […]

इलेक्ट्रॉनिक बल्बों के बीच जलेंगे उम्मीद के दीये पूर्णिया. दीपों के पर्व दीपावली में अब महज कुछ ही दिन बांकी है. बाजारों में रंगीन एवं आकर्षक इलेक्ट्रॉनिक बल्बों का बाजार सजा है. बड़ी इमारतों, घरों एवं दुकानों को रंगीन बल्बों से सजाया जा रहा है. बावजूद इसके बाजार में परंपरागत मिट्टी के दीप की दुकानें भी सजी है. हालांकि बदलते दौर में इलेक्ट्रॉनिक बल्बों की बढ़ी डिमांड और लोगों के बदलते मिजाज के कारण मिट्टी के दीप का कारोबार मंदा पड़ गया है. आधुनिकता के इस दौर में सस्ते दामों में बाजारों में उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक बल्ब एक तरह जहां नयी पीढ़ी के मन को भा रहे हैं, वहीं बढ़ती महंगाई और खरीदारों के बदले मिजाज ने कुम्हारों के परंपरागत मिट्टी के दीप का कारोबार खासा प्रभावित हुआ है. इसके बावजूद बाजारों में मिट्टी के दीपों की दुकानें सजी है और लोग खरीदारी भी कर रहे हैं. भट्ठा बाजार में मिट्टी के दीप बेच रहे शंकर पंडित एवं मधुबनी में दीपों की दुकान सजाने वाला बालकेश्वर की मानें तो मिट्टी के दीपों की खरीदारी अब महज एक औपचारिकता बन कर रह गयी है. आज कल लोग इलेक्ट्रॉनिक बल्बों से घर सजाते हैं. महज पूजा-पाठ में मिट्टी का दीप जलाने हेतु ही लोग मिट्टी का दीप खरीदते हैं. बेरंग हुई कुम्हारों की जिंदगी दीपावली में दीये की घटती डिमांड और महंगाई की मार तथा रंग बिरंगे इलेक्ट्रॉनिक बल्बों की बढ़ती मांग से कुम्हारों की जिंदगी बेरंग हो गयी है. कुम्हार शंकर पंडित पंडित एवं बालकेश्वर के अनुसार पहले मिट्टी आसानी से और मुफ्त में भी उपलब्ध हो जाती थी. अगर कीमत भी देनी पड़ती थी तो वह मामूली होती थी. अब मिट्टी भी सात सौ रुपया प्रति ट्रेलर मिलता है.जबकि जलावन पांच सौ से छह सौ रूपये क्विंटल मिलता है. इससे परिवार का पालन पोषण भी संभव नहीं हो पा रहा है. कहा कि नयी पीढ़ी के लोग अब दूसरे रोजगार से जुड़ने लगे हैं. केवल दीपावली और कुछ अन्य धार्मिक संस्कार और उत्सव के समय ही मिट्टी के दीये की पूछ होती है. फोटो:- 07 पूर्णिया 08 एवं 09परिचय:- 08- सड़क किनारे बिक रहा मिट्टी का दीया 09- सड़क किनारे सजी इलेक्ट्रॉनिक बल्बों की दुकान

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