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ऑटो चालक दे रहे हैं यातायात प्रभारी को क्लीन चिट !

पूर्णिया : फोर्ड कंपनी स्थित प्रदूषण जांच केंद्र को यातायात प्रभारी रवीश रंजन द्वारा 09 अक्तूबर को जबरन बंद कराने का मामला न केवल सवालों के घेरे में है बल्कि उलझता भी जा रहा है. कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर प्रदूषण केंद्र को जबरन बंद कराने और संचालक और कर्मियों के साथ श्री रंजन द्वारा […]

पूर्णिया : फोर्ड कंपनी स्थित प्रदूषण जांच केंद्र को यातायात प्रभारी रवीश रंजन द्वारा 09 अक्तूबर को जबरन बंद कराने का मामला न केवल सवालों के घेरे में है बल्कि उलझता भी जा रहा है.

कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर प्रदूषण केंद्र को जबरन बंद कराने और संचालक और कर्मियों के साथ श्री रंजन द्वारा दुर्व्यवहार किये जाने के बाबत संचालक द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिये गये आवेदन के बाद श्री रंजन पर कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है.

संभावित कार्रवाई से बचने के लिए अब कुछ ऑटो चालकों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. रविवार को दो दर्जन तथाकथित ऑटो चालकों का हस्ताक्षर युक्त एक आवेदन आरक्षी अधीक्षक को भेजा गया है.

जिसमें कहा गया है कि फोर्ड कंपनी स्थित धुआं जांच केंद्र द्वारा मनमाने रकम की वसूली की जाती है. संचालक ने लगाया था अवैध राशि मांगने का आरोप केंद्र संचालक द्वारा यातायात प्रभारी रवीश रंजन पर 10 अक्टूबर को 05 हजार रुपये बतौर घूस की राशि मांगने का आरोप लगाते हुए दुर्व्यवहार करने की शिकायत लिखित तौर पर पुलिस अधीक्षक से किया गया था.

एसपी ने संचालक राज किशोर मिश्रा से पूछताछ के बाद उन्हें उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी द्वारा इस बाबत विधि सम्मत कार्रवाई का भी आदेश दे दिया गया है.

सवालों के घेरे में ऑटो चालकों का आवेदन हैरानी की बात यह है कि संचालक द्वारा जब यातायात प्रभारी के खिलाफ आवेदन दिया जाता है तब जाकर एक दिन बाद ऑटो चालकों की नींद खुलती है.

जबकि प्रदूषण जांच केंद्र वर्षों से संचालित है और चुनाव की वजह से चेकिंग अभियान भी दो सप्ताह से भी अधिक समय से जारी है. ऐसे में अचानक ऑटो चालकों को अधिक रकम की वसूली की याद आ गयी या फिर जबरन याद दिलाया गया यह एक बड़ा सवाल है.

इतना ही नहीं आवेदन पर जिन तथाकथित ऑटो चालकों के हस्ताक्षर हैं उनका अस्तित्व है या नहीं यह भी सवालों के घेरे में है. आवेदन पर जो हस्ताक्षर किये गये हैं उनमें से कई हस्ताक्षर फर्जी प्रतीत होते हैं या एक जैसे प्रतीत होते हैं जो जांच का विषय है. ऑटो चालक दे रहे प्रभारी को क्लीन चिट मामला अवैध राशि मांगने और दुर्व्यवहार करने का है जिसमें एक पक्ष केंद्र संचालक और दूसरा पक्ष विवादों में आये यातायात प्रभारी रवीश रंजन है.

मामले की जांच वरीय पुलिस अधिकारी को करनी है लेकिन मजे की बात यह है कि जांच से पहले ही ऑटो चालक यातायात प्रभारी को क्लीन चिट दे रहे हैं. क्या यह माना जाये कि यह सब कुछ प्रायोजित है.

यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि जिला परिवहन पदाधिकारी ने प्रदूषण केंद्र की जांच के लिए जो पत्र मोटरयान निरीक्षक और यातायात प्रभारी को दिया है वह भी ऑटो चालकों के आवेदन के साथ संलग्न है.

ऑटो चालकों ने दो कदम आगे बढ़ते हुए यह भी लिख डाला है कि मोटरयान निरीक्षक की व्यस्तता की वजह से यातायात प्रभारी प्रदूषण जांच केंद्र पर गये थे.

ऐसा इसलिए लिखा या लिखवाया गया है क्योंकि जांच के लिए अकेले यातायात प्रभारी को केंद्र पर नहीं जाना था क्योंकि इस तरह की तकनीकी जांच के लिए वे सक्षम प्राधिकार नहीं हैं. इतना ही नहीं आवेदन में यह भी लिखा गया है कि यातायात प्रभारी के साथ अभद्र व्यवहार किया गया है. जाहिर है कि ऑटो चालकों के बीच यातायात प्रभारी काफी लोकप्रिय हैं.

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