शहादरा में एक मजदूर हुआ था डेंगू का शिकार
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दिल्ली से पतरघट आया एक और डेंगू का मरीज
शहादरा में एक मजदूर हुआ था डेंगू का शिकार पतरघट (सहरसा) : महानगरों में व्याप्त डेंगू बुखार ने अब सुदूर गांव-देहात में भी पांव पसारना शुरू कर दिया है. ऐसा ही एक मामला दिल्ली के शहादरा इलाके में पेंटिंग का कार्य कर रहे एक मजदूर के घर वापसी के बाद जांच में पाया गया है. […]
पतरघट (सहरसा) : महानगरों में व्याप्त डेंगू बुखार ने अब सुदूर गांव-देहात में भी पांव पसारना शुरू कर दिया है.
ऐसा ही एक मामला दिल्ली के शहादरा इलाके में पेंटिंग का कार्य कर रहे एक मजदूर के घर वापसी के बाद जांच में पाया गया है. क्षेत्र के जम्हरा बस्ती स्थित एक निजी क्लिनिक में डॉ अशोक कुमार द्वारा उक्त डेंगू पीड़ित मरीज का इलाज चल रहा है.
मधेपुरा जिले के खुरहान बस्ती निवासी मरीज पप्पू कुमार साह ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से दिल्ली के शहादरा इलाके में पांच लोगों की टीम के साथ रह कर पेंटिंग का काम करता है. 15 दिन पूर्व उसे बुखार लगा तो वहीं जांच करवायी, जहां चिकित्सक द्वारा उसे डेंगू बुखार बताया गया.
डेंगू पीड़ित गरीबी व बीमारी की डर से घर लौट आया तथा जम्हरा बस्ती में अपने संबंधी के यहां रहकर डॉ अशोक कुमार के क्लिनिक में जांच करा कर इलाज करवा रहा है. वहीं चिकित्सक डॉ अशोक कुमार ने बताया कि जांच के क्रम में उक्त मरीज का 39 हजार प्लेटलेट्स पाया गया है.
वहीं डब्ल्यूबीसी (श्वेत रक्त कण) दो हजार है. उन्होंने बताया कि मरीज खतरे से बाहर है. उन्होंने दावा करते कहा कि उक्त मरीज एक सप्ताह में पूर्ण रूप से ठीक हो जायेगा.
उन्होंने लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से बताया कि डेंगू का मच्छर दिन में ही काटता है. यह मच्छर टायर एवं कूलर सहित बरसात के जमा पानी में ज्यादा पनपता है.
बचाव के बाबत बताया कि लोगों को अधिक से अधिक मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए तथा साबुन से हाथ धोकर भोजन करना चाहिए. साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने से ही बचाव हो सकता है.
क्यों नहीं बोल रहे कोई नेताजी?
चार साल से अवरुद्ध है सहरसा-महेशखूंट मार्ग, गृह निर्माण सामग्रियों में आयी दुगुने तक की तेजी
सहरसा मुख्यालय
चुनावी माहौल है. सभी पार्टियां अपने स्तर से विधानसभा सीट जीतने का दावा भी कर रही है. अभी से ही चुनाव प्रचार व उसके लिए जनसंपर्क अभियान में लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए जाने की बात सामने आ रही है. लेकिन कोई भी नेता यह बताने के लिए तैयार नहीं हो रहा है कि सहरसा को महेशखूंट और फिर बांकी देश-दुनियां से जोड़ने वाली व इस इलाके के लिए लाइफलाइन समझी जाने वाली डुमरी पुल के पुननिर्माण में देरी क्यों रही है.
जबकि इस पुल के बनने से सहरसा को आधुनिक बनने में मदद मिली थी. जिले में सस्ते दर पर गृह निर्माण सामग्री सहित अन्य सामान उपलब्ध रहे थे. लेकिन पुल के पाये धंस जाने के बाद यातायात बंद क्या हुआ. सभी सामानों की कीमतों में आग लग गयी.
लोगबाग परेशान हो गये.
1996 में हुआ था उद्घाटन
सहरसा-खगडि़या जिले की सीमा पर उसराहा गांव में बीपी मंडल सेतु का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने किया था. पुल चालू होने के बाद 17 वर्षों तक लोगों को काफी सुविधाएं मिली.
पटना जाने वाली रात्रिकालीन बस हो या सहरसा सहित आसपास के इलाके से महेशखूंट पार जाने वाले लोग.
सब धड़ल्ले से जुड़ गये. पूर्व व पश्चिम के बीच की दूरी काफी कम हो गयी. वाहन के किराये में कमी आ गयी थी. 28 अगस्त 2010 तक सब कुछ ठीकठाक चलता रहा.
लेकिन उसके अगले ही दिन पुल के 15 एवं 16वें पाये के ज्वाइंट के धंस जाने से पुल पर परिचालन बंद कर दिया गया. सहरसा, मधेपुरा, सुपौल सहित सीमावर्ती क्षेत्र में सभी तरह के वाहनों का परिचालन रूक गया इससे लोग परेशान हैं.
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