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2250 पुस्तकों को चाट गये दीमक

श्रीनगर : राजकीय उच्च विद्यालय श्रीनगर के पुस्तकालय में रखे 2250 पुस्तकों को दीमक चाट गये जो पढ़ने योग्य नहीं रहे. बताया गया कि सभी पुस्तकें उचित रखरखाव एवं देखभाल नहीं किये जाने के कारण बरबाद हुए हैं. छात्र-छात्राओं के उपयोग में नहीं आने और बरबाद हो जाने से छात्र-छात्राओं में आक्रोश है. पुस्तकालयअध्यक्ष ने […]

श्रीनगर : राजकीय उच्च विद्यालय श्रीनगर के पुस्तकालय में रखे 2250 पुस्तकों को दीमक चाट गये जो पढ़ने योग्य नहीं रहे. बताया गया कि सभी पुस्तकें उचित रखरखाव एवं देखभाल नहीं किये जाने के कारण बरबाद हुए हैं.
छात्र-छात्राओं के उपयोग में नहीं आने और बरबाद हो जाने से छात्र-छात्राओं में आक्रोश है. पुस्तकालयअध्यक्ष ने बताया कि सत्र 2012-13 एवं 13-14 प्रत्येक वर्ष दस-दस हजार राशि की किताबें विद्यालय के लिए खरीदी गयी है. इससे पूर्व भी किताबें किस छात्र-छात्राओं को दी गयी है इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
क्षेत्र के बच्चे एवं कुछ अभिभावकों का कहना है कि एक सत्र में दस हजार की किताबें विद्यालय के आठ सौ से अधिक छात्र-छात्राओं के लिए उपयोग के लिए ऊंट के मुंह में जीरा के सामान्य है. विद्यालय के बच्चे के अनुसार बच्चे को किताबें नहीं मिलने के कारण सिलेबस की पढ़ाई करना उनके लिए एक समस्या बन गयी है. बच्चों का कहना था कि विद्यालय में किताबें मिलती थी तो पढ़ाई आसान था. अब बाजार से किताबें खरीद कर पढ़ना पढ़ता है.
खासकर उन कमजोर बच्चों के साथ समस्या बनती जा रही है जिनके घर की स्थिति बहुत ही कमजोर है. इस पुस्तकालय में पुस्तक रखने वाले आलमीरा भी जजर्र है. विद्यालय में कुल 13 आलमीरा है जिसमें दो शीशे का एवं तीन लकड़ी के हैं. इसके अलावा दो बड़ा टेबुल, दो बेंच, एक टेबुल कार्यालय के लिए, एक अतिथि के लिए उपयोग में है मगर सामान्य जजर्र स्थिति में. इसका सुधि लेने वाला कोई नहीं है. छात्र-छात्राओं ने पूर्ण पुस्तक मुहैया कराने की मांग जिला अधिकारी से की है.
कहते हैं पुस्तकाध्यक्ष
रामविलास पासवान ने बताया कि उन्हें ढाई वर्ष पुस्तकालय प्रभार लिये हुए हुआ है. इससे पूर्व दो प्रभारी प्राचार्य द्वारा दो सत्र में बीस हजार की किताबें खरीद कर दी गयी है जो बच्चों को दिया जाता है. 2250 पुस्तकें पूर्व प्राचार्य द्वारा लिखित निरस्त कर उन्हें प्रभार दिया गया है. उन्होंने बताया कि 12-13 एवं सत्र 2014 तक का विद्यालय में पुस्तक उपलब्ध है.

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