इमरजेंसी के लिए शहर में तीन दवा दुकानें खुली रहेंगी

पूर्णिया : पूर्णिया जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने मानवता के दृष्टिकोण से इस हड़ताल के दौरान शहर में तीन दवा दुकानों को खुला रखने की छूट दी है. एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष सिंह एवं सचिव लालमोहन सिंह ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए की गयी है ताकि दवा के अभाव में किसी की मौत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 23, 2020 7:28 AM

पूर्णिया : पूर्णिया जिला केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने मानवता के दृष्टिकोण से इस हड़ताल के दौरान शहर में तीन दवा दुकानों को खुला रखने की छूट दी है. एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष सिंह एवं सचिव लालमोहन सिंह ने कहा कि यह व्यवस्था इसलिए की गयी है ताकि दवा के अभाव में किसी की मौत न हो.

उन्होंने बताया कि इस दौरान जिला मुख्यालय में तीन दवा दुकानें खुली रहेंगी. इसमें एक बाजार धर्मशाला के सामने, दूसरी बिहार टाकीज रोड और तीसरी दुकान जिला स्कूल रोड में हैं. उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था इमरजेंसी सेवा के लिए खास तौर पर की गयी है.
फार्मासिस्ट की वैकल्पिक व्यवस्था करे सरकार
पूर्णिया. केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने सरकार द्वारा दवा दुकानों के लिए फार्मासिस्ट की अनिवार्यता के नियम पर कड़ी आपत्ति जतायी है और सवाल उठाया कि वे फार्मासिस्ट कहां से लाएं. एसोसिएशन का कहना है कि बिहार में फार्मासिस्ट शिक्षण संस्थानों का सर्वथा अभाव है. जो संस्थान हैं उनसे गिने-चुने लोग ही डिग्री लेकर निकलते हैं और वे नौकरी के लिए बिहार से बाहर चले जाते हैं.
जो अपने राज्य में रह जाते हैं वे सुदूरवर्ती दवा दुकानों में काम करने के लिए तैयार नहीं होते. एसोसिएशन का कहना है कि यह नियम उस समय बना था जब दवा की पुड़िया बनायी जाती थी जिसमें दवा की मात्रा बताने के लिए फार्मासिस्ट की आवश्यकता थी. मगर, आज दवा की पैकिंग में ही उसमें मिलायी गयी दवा की मात्रा लिखी होती है और वे डाक्टर की पुर्जी पर दवा बेचते हैं. एेसे में उसकी कोई जरूरत नहीं है.
एसोसिएशन का मानना है कि दवा दुकान में पढ़े लिखे लोग ही काम करते हैं जो दुकान में वर्षों तक काम करने के बाद दवा के बारे में काफी जानकार हो जाते हैं. यदि सरकार वैसे लोगों को अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र निर्गत कर दें तो फार्मासिस्ट की कमी को बहुत हद तक दूर किया जा सकता है.

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