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धूम मचा रहे देसी लक्ष्मी-गणेश
दो दिनों में लगभग सात लाख रुपये का होता है कारोबार पूर्णिया : मेक इन इंडिया के नारे का असर इस बार दिवाली के बाजार पर साफ तौर पर दिख रहा है. स्थानीय मूर्तिकला लाइटों से जगमगाती चाइनीज लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों पर भारी दिख रही है. दुकानदार से लेकर ग्राहक तक इस बार देश में […]
दो दिनों में लगभग सात लाख रुपये का होता है कारोबार
पूर्णिया : मेक इन इंडिया के नारे का असर इस बार दिवाली के बाजार पर साफ तौर पर दिख रहा है. स्थानीय मूर्तिकला लाइटों से जगमगाती चाइनीज लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों पर भारी दिख रही है. दुकानदार से लेकर ग्राहक तक इस बार देश में बने मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की खरीदारी कर रहे हैं.
दरअसल, दिवाली के मौके पर लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की खरीदारी करने और उसकी पूजा-अर्चना की परंपरा रही है. ऐसे में शहर के बाजार में अस्थायी तौर पर बनी मूर्ति की दुकानों में इस बार देश में बनी मूर्ति ही बिक रही है.
शहर में मूर्तियों की बिक्री के लिए बनी है करीब 250 अस्थायी दुकानें : दीपावली पर मूर्ति की बिक्री के लिए शहर के बाजारों में तकरीबन 250 अस्थायी दुकानें लगायी गयी है. इन दुकानों में औसतन 07 लाख रुपये मूल्य की मूर्तियों की बिक्री होती है. दुकानदारों की माने तो उन्होंने इस बार मुजफ्फरपुर और कटिहार में बनी मूर्तियों की खरीदारी की है, जिसे धनतेरस और दिवाली के मौके पर बेचा जायेगा. इन मूर्तियों पर प्लास्टिक पेंट किया गया है.
देश का पैसा देश में ही रहेगा : बहुमंजिला बाजार में लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति बेच रहे सुनील कुमार ने बताया कि चाइनीज मूर्तियां को खरीदने और बेचने में देश का पैसा दूसरे देश में चला जाता था और इसका फायदा वहां के लोगों को मिलता था.
वे बताते हैं कि देश में बनी मूर्तियों को बेचने से राष्ट्र का धन देश में ही रहेगा और यहां के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि दिवाली पर मूर्ति बेचने के लिए पूर्णिया और गुलाबबाग को मिला कर शहर में करीब 250 से अधिक अस्थायी दुकानें बनायी गयी हैं. सुनील की माने तो त्योहार के दौरान प्रत्येक दुकानदार को दो हजार से ढाई हजार की बचत होती है. ऐसे में हिसाब लगाया जाये, तो करीब सात लाख का व्यापार दिवाली के दो दिनों में होता है.
कुम्हार के दीये की बढ़ी दमक : बाजार में बड़ी संख्या में मिट्टी के दीये उपलब्ध हैं. वहीं गली-मुहल्ले में भी घूम-घूम कर दीये बेचे जा रहे हैं. खास बात यह है कि गत वर्ष की तुलना में इस बार मिट्टी के दीये की दुकानों की संख्या में इजाफा हुआ है.
हालांकि मिट्टी के दीये की कीमत गत वर्ष की तुलना में थोड़ी अधिक है, लेकिन विभिन्न संगठनों द्वारा मिट्टी के दीये जलाने की अपील का असर थोड़ा-बहुत दिख रहा है. हालांकि बाजार में चाइनीज दीये भी उपलब्ध हैं. लेकिन उसकी दमक कम नजर आ रही है.
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