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निजी नर्सिंग होम में आइसीयू की मुकम्मल सुविधा नहीं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मनमानी पर लगेगी लगाम कोर्ट के आदेश के बाद शहर के नर्सिंग होम का प्रभात खबर ने लिया जायजा, तो सामने आयी चौंकानेवाली सच्चाई अधिकांश नर्सिंग होम में होता है ऑपरेशन, पर आइसीयू नहीं पूर्णिया. निजी नर्सिंग होम में आमलोगों के स्वास्थ्य उपचार और बेहतर सेवा देने के नाम पर […]

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मनमानी पर लगेगी लगाम
कोर्ट के आदेश के बाद शहर के नर्सिंग होम का प्रभात खबर ने लिया जायजा, तो सामने आयी चौंकानेवाली सच्चाई
अधिकांश नर्सिंग होम में होता है ऑपरेशन, पर आइसीयू नहीं
पूर्णिया. निजी नर्सिंग होम में आमलोगों के स्वास्थ्य उपचार और बेहतर सेवा देने के नाम पर मोटी रकम वसूल की जा रही है पर सेवा और सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है.
सेवा और सुविधा देने वाले निजी नर्सिंग होम संचालकों के मनसूबे पर सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नर्सिंग होम में यदि ऑपरेशन होता है तो आइसीयू का होना अनिवार्य है. कोर्ट के आदेश के बाद प्रभात खबर ने शहर के निजी नर्सिंग होम की पड़ताल की तो चौंकानेवाली जानकारी मिली. अधिकांश नर्सिंग होम में आइसीयू की सुविधा नहीं है, ऑपरेशन धड़ल्ले से होता है और मोटी रकम भी वसूली जाती है.
जिले के सरकारी हो या निजी नर्सिंग होम या सरकारी अस्पताल जरूरी संसाधनों की भारी कमी है. बिना संसाधन और उपकरण का ही ऑपरेशन कर दिया जाता है. इन अस्पताल और नर्सिंग होम में कानून का सरेआम धज्जियां उड़ायी जा रही है. सूत्र बताते हैं कि किसी भी प्रकार का ऑपरेशन केलिए मेडिकल एक्ट में विधि व्यवस्था के संबंध सुनिश्चित किया है.
एक्ट के मुताबिक ऑपरेशन के लिए एक ओटी अस्टिटेंट, एक बीएससी एएनएम, एक एनेस्थेसिया डॉक्टर, एक फिजिशियन का होना अनिवार्य है. वहीं उपकरणों में ऑक्सीजन, पाल्स बीपी मोनिटर सेक्शन मशीन, सघन शल्य क्रिया के लिए वेंटीलेटर, आइसीयू रूम और ऑपरेशन थियेटर वार्ड डस्ट प्रूफ होना जरूरी है. लेकिन शहर में मेडिकल एक्ट का सरेआम मजाक उड़ाया जा रहा है. बहुत ही कम निजी नर्सिंग होम हैं, जिसमें यह सुविधा का मुकम्मल व्यवस्था है. बांकी नर्सिंग होम तो भगवान भरोसे चल रहा है. यहां तक कि सरकारी अस्पताल का तो और भी बदहाल स्थिति है. इन नर्सिंग होम और सरकारी अस्पतालों में मरीज की जिंदगी के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है.
शहर में सैकड़ों निजी नर्सिंग होम हैं. कई नर्सिंग होम तो करोड़ों की लागत से बने हैं. संचालक अपने नर्सिंग होम में सभी तरह के उपकरण और आधुनिक सुविधा उपलब्ध रहने का बड़े-बड़े दावा करते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रभात खबर की टीम ने शहर के निजी नर्सिंग होम की पड़ताल किया तो हैरान करने वाली बातें सामने आयी. शहर के एकमात्र नर्सिंग होम है, जिसमें आइसीयू और एसएनसीयू सेवा उपलब्ध है.
सरकारी अस्पतालों की मानें तो सिर्फ सदर अस्पताल में आइसीयू सेवा उपलब्ध है. बांकी किसी भी निजी या सरकारी अस्पताल में आइसीयू सुविधा उपलब्ध नहीं है. यह सुविधा उपलब्ध नहीं होने के बावजूद भी इन नर्सिंग होम में मरीजों का सघन शल्य ऑपरेशन किया जाता है. मरीज और उनके परिजनों को आकर्षित और लुभावने के लिए नर्सिंग होम में वाईफाई सेवा, टीवी, हर तरह का उपकरण और आधुनिक सुविधा से लैस ऑपरेशन थियेटर रखा जाता है.
लेकिन मरीज को सुरक्षित रखने की मुकम्मल संसाधन आइसीयू सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसा नहीं है कि यह कमी सिर्फ निजी नर्सिंग होम में ही है. सरकारी अस्पताल भी कोई पीछे नहीं है. जिले के सदर अस्पताल के अलावा किसी भी अस्पताल के आइसीयू सेवा नदारद है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्प्तालों तक की मुश्किलें बढ़ गयी है.

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