पूर्णिया : जिला मुख्यालय में करीब 1300 से अधिक चिकित्सकों का बोर्ड टंगा हुआ है. इन बोर्डों में डिग्रियों की लंबी फेहरिस्त होती है, विदेशों से भी पढ़ कर हासिल किये गये डिग्री इसमें दर्ज होते हैं. बोर्ड को पढ़ कर पता चलता है कि डॉक्टर साहब बहुत बड़े ज्ञानी हैं, पहले दिल्ली और मुंबई के अस्पतालों में भी अपनी सेवा दे चुके हैं और अब उन्हें अपनी मिट्टी की याद आयी तो पूर्णिया में समाजसेवा के लिए लाखों-करोड़ों की लागत से क्लिनिक आरंभ किया है.
लेकिन डॉक्टर साहब की डिग्री सही है या फर्जी, जिनके नाम का बोर्ड लगा है, वही डॉक्टर साहब क्लिनिक के व्हील चेयर पर बैठे हुए हैं या नहीं, यह मरीजों को पता नहीं होता है. यह केवल बिचौलिया ही बता सकता है या फिर डॉक्टर साहब खुद बता सकते हैं. जाहिर है कि फर्जी पैथोलॉजी की तरह ही फर्जी चिकित्सकों की भी लाइन बाजार में अच्छी-खासी तादाद है. फर्जी चिकित्सकों का काला कारोबार स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के नाकों के नीचे हो रहा है. लेकिन विभाग बेपरवाह बना हुआ है.
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को यह सब पता नहीं है. लेकिन हाकिमों के पास वर्क लोड ज्यादा है, लिहाजा एक-एक चिकित्सक के बारे में पता करने का उनके पास वक्त नहीं है. कई रसूख वाले लोग भी हैं, ऐसे में उच्चस्तरीय दबाब की भी गुंजाइश रहती है. इसलिए नाहक हाकिम भी एक्स्ट्रा टेंशन नहीं लेना चाहते हैं.