पूर्णिया : शहर को जाम मुक्त कराने एवं अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन एवं नगर निगम के द्वारा पांच दिनों से लगातार अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जा रहा है. अभियान में दो जेसीबी मशीन, ट्रैक्टर, डंपर और भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. बुधवार को भी लाइन बाजार क्षेत्र में अभियान जारी रहा. जिसमें बिहार टॉकिज रोड से लेकर हॉप चौराहा तक अतिक्रमण को हटाया गया. सड़क पर अतिक्रमण कर लगाये गये बोर्ड, शेड और फुटपाथी दुकानदारों को हटाया गया. पूर्व सूचना के बावजूद भी दुकान, बोर्ड और शेड को नहीं हटाने वालों का सामान जब्त कर आर्थिक जुर्माना किया गया.
जेसीबी मशीन और अतिक्रमण हटाने गये अधिकारियों को देखते ही अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया और सभी इधर-उधर भागने लगे. लाइन बाजार की स्थिति को देखते हुए प्रशासन द्वारा लगातार अभियान चला रही है. टीम को जाते ही फुटपाथी दुकानदार दुकान सजाना शुरू कर देते हैं और वाहन चालक भी वाहन को सड़क पर ही पार्किंग कर देने से दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है. बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक जाम की समस्या शहर में बरकरार रहेगी.
बीते कई दशकों से शहर को सवारने सजाने की कोशिशें नाकाम हो रही है. एक तरफ फुटपाथ पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलता है तो दूसरी तरफ मॉल और दुकानें बेतरतीब ढंग से हर रोज खुल रही है और उनके द्वारा खुलेआम अतिक्रमण किया जा रहा है. विडंबना यह है कि सामर्थवानों द्वारा किये जा रहे अतिक्रमण पर जिम्मेवारों की नजर नहीं है.
जाम की मूल वजह है बेतरतीब मॉल और दुकानें : जब भी जाम की समस्या की बात होती है, तो सबों की नजर अनायास फुटपाथ पर चली जाती है. लेकिन जाम की मुख्य और असरदार वजह क्या है, यह कोई नहीं देखता है. फुटपाथों पर अभियान चला कर कुछ दिनों के लिए मान लिया जाता है कि सड़क अतिक्रमण मुक्त हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं होता है. शहर के मुख्य बाजारों में हमेशा जाम लगी रहती है और इसके कारण को तलाशने की कोशिश नहीं की जाती है. दरअसल जाम की समस्या का मूल कारण है
शहर में सड़क किनारे बाजार और मुहल्लों में बनने वाले भवन, दुकान होटल ,मॉल वगैरह. बीते वर्षों में शहर तेजी से विस्तार कर रहा है और विकास भी तेजी से हो रहा है. लेकिन बन रहे दुकान, होटल और मॉल और नर्सिंग होम द्वारा नियम-कायदे की धज्जियां उड़ायी जा रही है. दरअसल ऐसे स्थलों पर न तो पार्किंग की जगह है और न ही अन्य कोई व्यवस्था है. जिसके कारण गाड़ियां सड़कों पर लगती है और जाम की समस्या उत्त्पन्न होती है.
शहरी क्षेत्र में किसी भी तरह का भवन निर्माण में नगर निगम से आदेश की जरूरत होती है. निर्माण से पहले नक्शा पास कराना होता है और सभी नियमों का पालन अनिवार्य है. भवन निर्माता को पार्किंग ,नाला सहित कई और अन्य मुलभुत सुविधाओ का ख्याल नियमो के मुताबिक रखना होता है. लेकिन विडंबना यह है कि शहर में बने अधिकांश मॉल, भवन, दुकान, मकान और नर्सिंग होम आदि मनमाने ढंग से बना लिये गये है और कई बन भी रहे है.
फुटपाथी दुकानदारों की भी है अपनी समस्याएं : जाम से निबटने और जाम की समस्या को खत्म करने को लेकर हर बार शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलता है, लेकिन इसका दायरा महज फुटपाथ तक ही सिमटकर रह जाता है. हालांकि फुटपाथी दुकानदारों की आजीविका से जुडी मांगो में शामिल वेंडिंग जोन का मामला भी ठंडे बस्ते में है और अतिक्रमण हटाने के नाम पर उन्हें हर महीने उजड़ने पड़ता है. यह सिलसिला भी दशकों से चल रहा है और उजड़ना और फिर बसना उनकी नियति बन चुकी है.
जाम के दर्द से छुटकारा नहीं है आसान : जाम की समस्या शहर में नासूर बन कर रह गयी है. भले ही शहर को स्मार्ट बनाने और सजाने संवारने की कोशिश हो रही हो, करोड़ों खर्च कर शहर सुंदर और सुसज्जित बनाने की मुहिम चलायी जा रही हो ,लेकिन यह बात भी कटु सत्य है कि जबतक शहर में बनने वाले सार्वजनिक भवन और अन्य भवनों को नियमों के मुताबिक और पार्किंग व्यवस्था के हिसाब से नहीं बनाया जायेगा और वेंडिंग जोन का निर्माण कर फुटपाथी दुकानदारों को नहीं बसाया जाता है तब तक जाम से छुटकारा नहीं मिल सकेगा.