पूर्णिया : पूर्णिया की स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में रोगियों के साथ अजब-गजब का खेल जारी है. बीमारी से ग्रस्त मजबूर इंसान को यहां एक अदृश्य ताकत अपनी ओर चिकनी-चुपड़ी बातें कर खींच लेती हैं और उन्हें आर्थिक परेशानी के दलदल में फांस कर अपना उल्लू सीधा कर लेती है.
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नर्सिंग होम के बिचौलियों की नजर अब सदर अस्पताल पर
पूर्णिया : पूर्णिया की स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में रोगियों के साथ अजब-गजब का खेल जारी है. बीमारी से ग्रस्त मजबूर इंसान को यहां एक अदृश्य ताकत अपनी ओर चिकनी-चुपड़ी बातें कर खींच लेती हैं और उन्हें आर्थिक परेशानी के दलदल में फांस कर अपना उल्लू सीधा कर लेती है. यह अदृश्य ताकत कोई और […]
यह अदृश्य ताकत कोई और नहीं बल्कि स्वास्थ्य नगरी में यत्र-तत्र घूमने वाले युवा हैं, जो सदर अस्पताल से अलग एक-आध क्लिनिक को छोड़ कर लाइन बाजार के निजी क्लिनिकों के िबचौिलये हैं. ये लोग अदृश्य रूप से किसी न किसी प्रैक्टिशनर अथवा पैथोलॉजी संचालकों से मिले हुए रहते हैं. ज्ञात हो कि सदर अस्पताल में कम खर्च में इलाज होता है और विभिन्न बीमारियों का इलाज करने के लिए अनुभवी विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद है. कहा जाये तो बाहर निजी नर्सिंग होम से कई गुणा अधिक सुविधा और सस्ता सेवा उपलब्ध है.
सस्ता और गुणस्तर इलाज के लिए सदर अस्पताल अन्य जिलों तक प्रख्यात है. दैनिक हजारों की संख्या में लोग इलाज कराने आते हैं. लेकिन बाहर संचालित निजी क्लिनिक और नर्सिंग होम का सदर अस्पताल पर बुरी नजर है. निजी नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, डायलीसिस एवं पैथोलॉजी संचालकों ने बतौर िबचौिलया प्रतिनियुक्त किया है.
इन बिचौलियों को 30 से 35 प्रतिशत तक कमीशन मिलता है. िबचौिलये 24 घंटे सदर अस्पताल के विभिन्न वार्ड में ताक-झांक करते रहते हैं. इनकी ओर से मरीज व उनके परिजनों को हमदर्द बन कर अपने विश्वास में ले लिया जाता है और फिर मरीज के परिजनों को मरीज को यहां इलाज कराना उचित नहीं है, कह कर अस्पताल की बुराई से कान भर कर मरीज को अपने साथ ले जाकर निजी नर्सिंग होम एवं क्लिनिक में भर्ती करा कर कमीशन लेकर हट जाते हैं. मालूम हो कि स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार में तीन दर्जन से अधिक निजी नर्सिंग होम, 63 की संख्या में अल्ट्रासाउंड सेंटर, 300 की संख्या में एक्सरे, दर्जन भर डायलीसिस सेंटर और 500 के करीब पैथोलॉजी सेंटर संचालित है. उसके बाद 1300 से अधिक डॉक्टरों का क्लिनिक है.
ओपीडी के बाहर बैठे मरीज व उनके परिजनों को िबचौिलये बहला-फुसला कर लेकर चले जाते हैं निजी क्लिनिक में
शहर में 1300 से अिधक हैं डॉक्टरों के क्लिनिक
बिचौलियों का नेटवर्क : लाइन बाजार में कई ऐसे क्लिनिक, जांच घर और निजी नर्सिंग होम है, जो शुरू में दिन भर धूल फांकते रहते हैं. लेकिन अचानक बिचौलियों के रहमोकरम से कुछ ही समय में अच्छी तरक्की कर लेता है. लाइन बाजार में बिचौलियों का बहुत बड़ा नेटवर्क चल रहा है. दलाल प्रत्येक पंचायत और प्रखंड में कमीशन पर सहायक दलाल बहाली कर रखा है. यह सहायक दलाल अपने गांव एवं प्रखंड स्थित सरकारी अस्पताल में मंडराते रहते हैं और मरीज या उनके परिजनों से छोटी सी मुलाकात में पहचान बना कर फिर उसे अपने जाल में फांस लेता है.
सदर अस्पताल में सबसे ज्यादा भीड़ ओपीडी वार्ड के बाहर रहता है. बिचौलियों के लिए यहां से मरीजों को भगा कर ले जाना और भी आसान होता है. भीड़ के बीच दलाल गिद्ध की तरह मंडराते रहते हैं. दलाल भीड़ का फायदा उठाने लगते हैं. कई लोगों को इलाज कराने की हड़बड़ी रहती है. वहीं ओपीडी में रसीद काटने एवं मरीज को देखने का समय सुबह 08 से 12 बजे और दोपहर 04 बजे से 06 बजे शाम तक मात्र है. यदि रसीद काटने में देरी हो गयी तो घंटों भर इंतजार करने की नौबत आ जाती है.
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