गरमी की छुट्टियां खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग फिर हुआ सक्रिय
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निजी स्कूलों में गरीब छात्रों की होगी गिनती
गरमी की छुट्टियां खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग फिर हुआ सक्रिय शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकन के लिए स्कूलों को निर्देश गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दिलाने की योजना 25 फीसदी कोटे को हर हाल में पूर्णत: लागू करायेगा विभाग पूर्णिया : गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिला […]
शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकन के लिए स्कूलों को निर्देश
गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दिलाने की योजना
25 फीसदी कोटे को हर हाल में पूर्णत: लागू करायेगा विभाग
पूर्णिया : गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिला दिलाने के लिए शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से कवायद तेज कर दी है. गरमी की छुट्टियां रहने के कारण पिछले एक महीने से अभियान पर विराम लग गया था. स्कूल खुलते ही शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकन कराने के लिए विभाग ने अभियान शुरू कर दिया है.
जिलाधिकारी प्रदीप कुमार झा ने भी आरटीइ कोटे से नामांकन की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की है. डीपीओ सर्वशिक्षा रतीश कुमार झा ने बताया कि बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा प्रणाली को शत प्रतिशत लागू करने के लिए विभाग पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. इसके लिए जहां निजी स्कूलों को निर्देश दिये गये हैं वहीं विभाग के स्तर पर क्लोज मॉनीटरिंग और क्रॉस चेकिंग की जा रही है. 105 निजी स्कूलों में अिधकारी जायेंगे और नामांकित गरीब छात्रों की िगनती करायी जायेगी.
126 सीटों पर नहीं हो पाया है नामांकन : विभाग की ओर से जिले के 105 निजी स्कूलों को प्रस्वीकृति दी गयी है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक निजी स्कूलों में अभी भी कोटे के तहत 126 सीटों पर नामांकन नहीं लिया गया है. बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा प्रणाली 2011 के तहत प्रस्वीकृत निजी विद्यालयों में एससी, एसटी, ओबीसी एवं अलाभकारी समूह एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25 फीसदी कोटा रखा गया है. इस कोटे के तहत पढ़नेवाले बच्चों के लिए निजी स्कूलों को राज्य सरकार की ओर से प्रति बच्चे सालाना 4400 रुपये प्रदान किये जायेंगे. विभाग की ओर से बताया गया कि पिछले सत्रों के भुगतान के लिए राज्य सरकार की ओर से आवंटन मिल गया है.
क्लास वन को बनाया गया आधार कक्षा : शिक्षा विभाग को यह प्रमाण मिले हैं कि निजी स्कूलों में जितने बच्चे नामांकित हैं उससे कम बच्चे कागज पर दर्शाये गये हैं. कोटे की सीट को कम करने की नीयत से यह किया गया है. इसलिए विभाग ने तय किया है कि निजी स्कूलों में नामांकित बच्चों की गिनती की जाये. इसके लिए कक्षा एक को आधार माना गया है. मतलब, भौतिक जांच में कक्षा एक के बच्चों की गिनती की जायेगी और उसी हिसाब से कोटे की सीट निर्धारित की जायेगी. हाल में ही शिक्षा विभाग के अधिकारी कुछ स्कूलों की जांच में गये थे. वहां जांच के दौरान पाया कि स्कूलों में क्लास वन बच्चों की उपस्थिति उपलब्ध रिकॉर्ड की तुलना में काफी ज्यादा है. ये स्कूल बच्चों की उपस्थिति 30-40 बता रहे थे. हालांकि वास्तविक उपस्थिति तिगुने के करीब पायी गयी.
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