न नाला न सोख्ता, बना दिया जाता है रोड

मोहल्लों में जल निकासी की व्यवस्था नहीं, शहरवासी परेशान पूर्व से बने मोहल्लों के अधिकांश नाले हो गये जाम पूर्णिया : शहर के मुहल्लों में कहीं भी माकूल ढंग से जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है. इससे आम शहरवासी परेशान होकर रह गये हैं. कहीं सड़कों पर पानी बह रहा है तो कहीं सड़क के किनारे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 23, 2017 5:19 AM

मोहल्लों में जल निकासी की व्यवस्था नहीं, शहरवासी परेशान

पूर्व से बने मोहल्लों के अधिकांश नाले हो गये जाम
पूर्णिया : शहर के मुहल्लों में कहीं भी माकूल ढंग से जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है. इससे आम शहरवासी परेशान होकर रह गये हैं. कहीं सड़कों पर पानी बह रहा है तो कहीं सड़क के किनारे पानी जाम है. इस मसले पर नगर निगम चुप है. ज्ञात हो कि शहर में 46 वार्ड हैं और करीब 200 छोटे-छोटे कॉलोनी है.
नगर निगम क्षेत्र में 70 हजार से अधिक हाउस होल्डर्स भी हैं. इन मुहल्लों के लिए जितनी भी सड़कें बनायी जा रही है, उनमें कहीं भी नाला का स्टीमेट सड़क के स्टीमेट के साथ नहीं रहता है. जिस कारण सड़कें तो बन जाती है मगर उसके बगल से नाला नहीं बन पाता है. हाल के वर्षों में नगर निगम में जलनिकासी के लिए रोड के बीचोंबीच नाला निकालना शुरू कर दिया है.
इसके उपर स्लैब देकर काम चलाया जा रहा है, लेकिन इन नालों का भी हाल बुरा है. इस तरह के तत्काल नाले तो बनाये जाते हैं, लेकिन इसका जुड़ाव मुख्य ड्रेन से कहीं नहीं होता है. जलनिकासी की समस्या जस की तस रह जाती है.
नाले का अभाव
मुहल्ले की गलियों में नाला का तो सर्वथा अभाव है ही और लोगों के घरों के अपशिष्ट एवं जल खपाने के लिए सोख्ता का भी कहीं व्यवस्था नहीं है. इस मसले पर कई बार नगर निगम ने योजना बनाया. यह योजना भी खटाई में चल रही है.
आनन-फानन में हो रही सफाई
अभी जब बरसात का मौसम आ गया है तब पूर्णिया के नवनियुक्त डीएम प्रदीप कुमार झा के कड़े निर्देश पर नगर-निगम ने आनन-फानन में नाले की सफाई शुरू कर दी है. हालांकि यह सफाई भी सिर्फ लालगंज ड्रेन का हो रहा है. छोटी-छोटी गलियों के नालों की सफाई पर किसी का ध्यान नहीं है.
नगर निगम क्षेत्र में पूर्व से बने अधिकांश नाले जाम हो गये हैं. इन नालों का किसी मुख्य नाले से जुड़ाव नहीं होने के कारण नाले में ही जलजमाव एवं अपशिष्ट का जमाव होता चला गया और नाला जाम हो गया. इतना ही नहीं हाल फिलहाल गंगा-दार्जिलिंग रोड में बनाये गये नाले का भी यही हाल है. कई जगह स्लैब टूट गये हैं. जहां स्लैब टूटे हैं, वहां कूड़ा-करकट जमा हो गया है. इस होकर बहने वाले जल की भी निकासी बंद है. बारिश में स्थिति नारकीय : बारिश के मौसम में शहर के मुहल्लों की स्थिति काफी नारकीय हो जाती है. कई बार लोगों ने आवाज उठायी मगर उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो गयी. इस दिशा में राजनीतिक लफ्फाजी काफी हुई और प्रशासनिक दावे भी कई बार किये गये. लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया.
खटाई में है मास्टर प्लान
शहर को जलनिकासी एवं गंदगी से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2008 में ही मास्टर प्लान बनाया गया था. डीपीआर बनाने के लिए पीएचइडी को जिम्मा सौंपा गया था. डीपीआर बन कर तैयार भी हो गया. वित्तायन का झमेला आड़े आ गया. मुख्य नाले से छोटे नाले को जोड़ने की योजना थी. लेकिन यह योजना भी खटाई में चली गयी. सूत्र बताते हैं कि शहर में छोटे-छोटे 26 नाले हैं. इन सभी छोटे नालों को आउटलेट के माध्यम से जलनिकासी होनी थी. लेकिन प्रशासन की दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव में इसे अमल में नहीं लाया जा सका.

Next Article

Exit mobile version