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Thursday, March 28, 2024

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Weather Alert : बारिश से अभी राहत मिलने वाली नहीं, छह महीने में तोड़ दिया पिछले दस सालों का रिकार्ड

इस साल बारिश ने पूर्णिया में पिछले दस सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है. बीते दस सालों में इतनी अधिक बारिश पूर्णिया में कभी नहीं हुई जितनी इस साल पिछले छह महीने में हुई है. नतीजा यह है कि न केवल लोग अधिक बारिश से उब चुके हैं बल्कि इसका साइड इफेक्ट भी सामने आने लगा है.

पूर्णिया : इस साल बारिश ने पूर्णिया में पिछले दस सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है. बीते दस सालों में इतनी अधिक बारिश पूर्णिया में कभी नहीं हुई जितनी इस साल पिछले छह महीने में हुई है. नतीजा यह है कि न केवल लोग अधिक बारिश से उब चुके हैं बल्कि इसका साइड इफेक्ट भी सामने आने लगा है. अगर पिछले 30 वर्षों के वर्षा के रिकार्ड पर गौर करें तो सबसे कम वर्षा 1982 में 578.8 मिमी. और सबसे अधिक 1989 में 2578.8 मिमी दर्ज की गयी थी जबकि 1987 में 2470.1 मिमी. वर्षा दर्ज की गयी थी और उस वक्त भी पूर्णिया में भीषण बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ी थी. हालिया सालों के आंकड़ों को देखें तो 2011 में बारिश की स्थिति काफी दयनीय रही. वर्ष 2012 में काफी कम 47.19 मिमी. तथा 2013 में 232.79 मिमी. वारिश का आंकड़ा सामने आ रहा है. यह वही दौर है जब पेड़-पौधे तेजी से कट रहे थे. मगर, वर्ष 2020 मौसम के मामले में सुखद माना जा रहा है.

अब तक के रिकार्ड में सबसे ज्यादा

इस वर्ष जनवरी में 7.9 मिमी. से शुरुआत हुई. यह आंकड़ा फरवरी में 6.0 रहा पर मार्च में छलांग लगा कर 91.9 मिमी. तक पहुंच गया. बारिश ने यहां से फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. अप्रैल में 122.7 मिमी., मई में 183.8 मिमी., जून में 418.5 मिमी.,जुलाई में 458 मिमी. और अगस्त में 325 मिमी. बारिश रिकार्ड की गई. जून माह में धमाके के साथ माॅनसून आया और पुराना रिकार्ड तोड़ गया. इस साल जनवरी से मई तक 382.3 मिमी. बारिश हुई जबकि पहले जून से 15 सितम्बर तक 1460.5 मिमी. बारिश हुई जो अब तक के रिकार्ड में सबसे ज्यादा है.

बारिश से लौटी पूर्णिया की पुरानी पहचान

बारिश से लौटी पूर्णिया की पुरानी पहचान गौरतलब है कि शहरीकरण की होड़ में पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई और फैलते कंकरीट के जंगल के कारण बीच के सालों में पूर्णिया के मौसम का मिजाज बदल गया था और बारिश पूरी तरह रुठ गयी थी. उस दौरान न केवल पूर्णिया में वर्षापात काफी कम हो गया बल्कि गर्मी भी बेहिसाब बढ़ गयी थी. बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्णिया पहले प्रकृति की गोद में बसा हुआ नजर आता था. अगर कभी दिन में हल्की गर्मी पड़ गयी तो शाम तक झमाझम बारिश से मौसम रुमानी हो जाता था पर बीच के दस सालों में दक्षिण बिहार की तरह मौसम इतना गर्म रहने लगा कि लोग पूर्णिया का उपनाम ‘मिनी दार्जिलंग’ भूलने लगे थे. मगर, इस साल मौसम ने करवट बदला और लंबे अर्से के बाद एक बार फिर मिनी दार्जिलिंग जीवंत हो उठा है.

अलर्ट : बारिश से अभी राहत मिलने वाली नहीं पूर्णिया

सितम्बर में अब तक भले ही सर्वाधिक बारिश हुई हो पर इससे अभी राहत मिलने की कोई गुंजाइश नहीं. मौसम विभाग के अधिकारी एस के सुमन बताते हैं कि अभी भी 24 घंटे का अलर्ट जारी किया गया है क्योंकि अगले दो दिनों तक मूसलाधार बारिश की संभावना बनी हुई है. बादलों की गड़गड़ाहट के साथ ठनका गिरने की भी आशंका है. श्री सुमन ने बताया कि वायुमंडल का दबाव घटा हुआ है जिससे बारिश की पूरी गुंजाइश बनती नजर आ रही है.

सन् सत्तासी के आंकड़े को छूने में महज 628 मिमी

सन सत्तासी की प्रलयंकारी बाढ़ के दौरान बारिश का रिकार्ड छूने में महज 628 मिमी. शेष रह गया है और यही वजह है कि बारिश का मिजाज देख जिले के आम लोग आशंकित हैं कि इस साल कहीं सैलाब का संकट झेलने की नौबत तो नहीं आएगी. लोगों का तर्क है कि 1987 में जब प्रलयंकारी बाढ़ आयी थी तो उस साल सर्वाधिक 2470.1 मिमी. बारिश हुई थी और इसी तरह लगातार बारिश का दौर चला था. लोगों का तर्क है कि इस साल बारिश का रिकार्ड 1842.8 मिमी. तक पहुंच गया है जो 1987 के रिकार्ड के काफी करीब है. हालांकि इस पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है पर आम लोग सहमे हुए हैं.

posted by ashish jha

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