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मौसम की मार से आम उत्पादकों को लगा बड़ा झटका, उजड़ गयी आम की खेती

पहले आंधी और फिर ओला वृष्टि ने इस साल जिले के आम उत्पादकों को बड़ा झटका दिया है. प्राकृतिक आपदाओं के कारण आम उत्पादक बैक फुट पर आ गये हैं. इस बार फरवरी के आखिरी सप्ताह, मार्च और अप्रैल की शुरुआत में आयी आंधी, बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. पिछले साल भी बारिश और फिर तेज गर्मी से आम की 40 फीसदी फसल बर्बाद हो गयी थी. उत्पादकों की मानें तो अब अगर मौसम सामान्य भी रहता है तो बची खुची फसल को बाजार में आने में देर लगेगी. आलम यह है कि इस बार बाजार में बाहर के ब्रांडेड आम से ही लोगों को संतोष करना पड़ेगा.

पूर्णिया : पहले आंधी और फिर ओला वृष्टि ने इस साल जिले के आम उत्पादकों को बड़ा झटका दिया है. प्राकृतिक आपदाओं के कारण आम उत्पादक बैक फुट पर आ गये हैं. इस बार फरवरी के आखिरी सप्ताह, मार्च और अप्रैल की शुरुआत में आयी आंधी, बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. पिछले साल भी बारिश और फिर तेज गर्मी से आम की 40 फीसदी फसल बर्बाद हो गयी थी. उत्पादकों की मानें तो अब अगर मौसम सामान्य भी रहता है तो बची खुची फसल को बाजार में आने में देर लगेगी. आलम यह है कि इस बार बाजार में बाहर के ब्रांडेड आम से ही लोगों को संतोष करना पड़ेगा.

केनगर प्रखंड के पोठिया रामपुर पंचायत के आम उत्पादक अलीमुद्दीन बताते हैं कि उनके परिवार में ढाई सौ आम के पेड़ हैं. उन्होंने बताया कि इस बार पहली मार लॉकडाउन की पड़ी क्योंकि उस पीरियड में आम के पेड़ों के पारंपरिक उपचार में काफी कठिनाई आयी. किसी तरह दवा आदि का छिड़काव कर पेड़ों को बचाया जिससे फलन अच्छा हुआ. इससे बेहतर आय की उम्मीद बनी पर आंधी-पानी का पहला झोंका ही निराश कर गया. आंधी और ओलावृष्टि से पेड़ों पर लगे फल झड़ गये. श्री अलीम बताते हैं कि आंधी-पानी के तीन-चार दौर आये पर रविवार की आंधी ने बागान में लगे आम के पेड़ों को ही नष्ट कर डाला. उनके साथ जहीर के भी ढेर सारे पेड़ कहीं उखड़ गये तो कहीं बीच से टूट कर गिर गये.

इन पेड़ों को फल देने लायक बनाने में पूरी उम्र लग गयी और जब फल खाने का समय आया तो पेड़ ही बिखर गये. अमौर के आम उत्पादक सूरज कुमार, कृत्यानंदनगर के आम उत्पादक मजीद और बबलू साह भी आम के उत्पादन पर पड़ी मौसम की मार से हताश हैं. ठगे हुए महसूस कर रहे बगान ठेकेदारसीजन शुरू होने से पहले आम बगान खरीदने वाले ठेकेदार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि मौसम इस कदर दगा देगा कि उनकी पूंजी ही फंस जायेगी. दरअसल, वे यह मान कर चल रहे थे कि अगर एक साल फलन बढ़िया नहीं हुआ तो अगले साल का उत्पादन बेहतर होता है. चूंकि पिछले साल फलन कम था इसलिए इस बार बेहतर उम्मीद से बगान खरीद कर सभी अच्छी कमाई के मूड में थे. इसी वजह से कई ठेकेदारों ने एडवांस पेमेंट कर बगान के रखवाली शुरू कर दी थी पर मौसम की इस मार से वे भी हताश हो चले हैं. बगान ठेकेदार आरीफ की मानें तो इस बार पूंजी निकलना मुश्किल है.

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