कृष्ण कुमार, पटना. बिहार की आधा दर्जन परियोजनाओं का निर्माण शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है. अधिकांश परियोजनाओं में राज्य सरकार की तरफ से जरूरी आवश्यकताएं लगभग पूरी कर दी गई हैं. इन सभी के निर्माण से राज्य की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी. साथ ही आमलोगों को रोजी-रोजगार मिलेगा. इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं में अररिया के रानीगंज में चिड़ियाघर की मंजूरी, भारतमाला के दूसरे चरण की ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, जेपी सेतु के समानांतर नये गंगा पुल का निर्माण, कोसी-मेची लिंक परियोजना मुख्य रूप से शामिल हैं.
रानीगंज में चिड़ियाघर
सूत्रों के अनुसार अररिया के रानीगंज में बनने वाले चिड़ियाघर के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी और केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है. इस संबंध में मास्टर प्लान भेजने के साथ ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने जरूरी औपचारिकताओं को पूरा कर दिया है. राज्य के इस दूसरे चिड़ियाघर का निर्माण करीब 289 एकड़ में होना है.
भारतमाला के दूसरे चरण के ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार
राज्य में भारतमाला के दूसरे चरण में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना है. इसमें से वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेस में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. इसे छोड़कर अन्य एक्सप्रेस-वे को बनाने के लिए पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की मंजूरी मिल चुकी है. इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार है. इसमें रक्सौल-हल्दिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे और पटना-कोलकाता एक्सप्रेसवे शामिल हैं.
इसमें से रक्सौल-हल्दिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे लगभग 695 किमी लंबाई में लगभग 54 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनेगी.
वहीं गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की कुल प्रस्तावित लंबाई करीब 519 किलोमीटर है, जिसमें 84 किमी हिस्सा यूपी यानी गोरखपुर, देवरिया व कुशीनगर जनपद में पड़ेगा.
बक्सर से भागलपुर तक एक्सप्रेसवे बनेगा. अभी बक्सर से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को जोड़ने की योजना है. इससे भागलपुर को जोड़ने पर भागलपुर का सीधा जुड़ाव पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जाएगा. इसकी लंबाई करीब 350 किमी होगी.
इसके साथ ही पटना से कोलकाता तक एक्सप्रेसवे की अनुमानित लंबाई 450 किमी होगी. भारतमाला परियोजना चरण 2 के तहत यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे एनएच-2 के विकल्प के रूप में काम करेगा जिस पर सिर्फ भारी वाहनों का परिचालन होगा.
जेपी सेतु के समानांतर नये गंगा पुल को मंजूरी का इंतजार
करीब सात किमी लंबाई में करीब 2635 करोड़ की अनुमानित लागत से जेपी सेतु के समानांतर नये छह लेन के गंगा पुल को बनाने के लिए पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड (पीआईबी) की मंजूरी मिलने के बाद इसे बनाने के लिए टेंडर जारी किया गया था. इसके बाद इस पुल को बनाने के लिए भी केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलना जरूरी है. फिलहाल इस मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है.
कोसी-मेची लिंक को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का इंतजार
राज्य में कोसी-मेची लिंक परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग राज्य सरकार लगातार कर रही है. इसके बावजूद अब तक इसे राष्ट्रीय परियोजना की मंजूरी नहीं मिली. यह मंजूरी मिलने पर इस पर केंद्र सरकार के खर्च की हिस्सेदारी 90 फीसदी और राज्य सरकार की 10 फीसदी हो जाती. इससे पहले मध्य प्रदेश की केन-बेतवा लिंक परियोजना को यह मंजूरी मिल चुकी है. फिलहाल कोसी-मेची लिंक पर केंद्र सरकार 60 फीसदी और राज्य सरकार 40 फीसदी हिस्सेदारी से खर्च करेगी.
राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति की मांग
राज्य सरकार गंगा सहित मुख्य नदियों को गाद मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने की मांग लंबे समय से करती आ रही है. राज्य सरकार का कहना है कि इससे नदियों में बाढ़ की पानी का प्रबंधन किया जा सकेगा. साथ बाढ़ से राज्य का बचाव होगा. नदियां स्वच्छ होंगी.