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विश्व फेफड़ा दिवस: बिहार में बढ़ रही कमजोर फेफड़ों की समस्या, डेढ़ करोड़ हुए दमा के मरीज

World Lung Day: लोगों के फेफड़े की क्षमता कम होती जा रही है. शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और पटना एम्स के ओपीडी में हुए अध्ययन व नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन बिहार चैप्टर के आंकड़ों पर गौर करें, तो फेफड़ा कमजोर होने के साथ ही 40 प्रतिशत लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है.

आनंद तिवारी, पटना. शहर में प्रदूषण का ही यह असर है कि अब पटना के लोगों के फेफड़े की क्षमता कम होती जा रही है. शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और पटना एम्स के ओपीडी में हुए अध्ययन व नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन बिहार चैप्टर के आंकड़ों पर गौर करें, तो फेफड़ा कमजोर होने के साथ ही 40 प्रतिशत लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है.

पटना में लगभग चार लाख दमा (अस्थमा) से पीड़ित हैं

सूबे में करीब डेढ़ करोड़ और पटना में लगभग चार लाख दमा (अस्थमा) से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यही स्थिति रही, तो आने वाले पांच वर्षों में फेफड़ेव सांस के मरीजों की शहर में संख्या दोगुनी हो जायेगी, जो खतरे के संकेत हैं. पीएमसीएच के टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ सुभाष चंद्र झा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और फोरम आॅफ इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसायटीज (एफआइआरएस) द्वारा 25 सितंबर को विश्व फेफड़ दिवस मनाया जाता है. इसका प्रमुख उद्देश्य फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति दुनिया भर में जागरूकता फैलाना है.

कोरोना ने हमारे फेफड़ों पर सबसे ज्यादा किया है असर

कोरोना महामारी ने हमारे फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर किया है. इसी वजह से इस बार की थीम लंग हेल्थ फाॅर ऑल, यानी सबके फेफड़ों का स्वास्थ्य ठीक रहे, रखी गयी है. विश्व फेफड़ा दिवस 2022 का लक्ष्य श्वसन संबंधी बीमारियों के बोझ को कम करना, सबके फेफड़ों की देखभाल, बीमारी की स्थिति का शीघ्र पता लगाना और श्वास रोगियों का उपचार समान रूप से सभी लोगों को मिलना है.

पटना में हर साल 20 हजार पहुंच रहे सांस से संबंधित मरीज

शहर के संबंधित तीनों मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के ओपीडी में हर साल करीब 20 हजार लोग सांस की तकलीफ लेकर उपचार के लिए आते हैं. हर साल करीब आठ हजार नये मरीज इन अस्पतालों में चिह्नित हो रहे हैं. डॉक्टरों का यह भी कहना है कि प्रदूषण का असर बुजुर्ग, बच्चों और गर्भवती पर अधिक हो रहा है. पटना की हवा में धूलकण की मात्रा 2.5 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से भी अधिक है, जो मानक से करीब तीन गुना अधिक है. डीटीओ विशेषज्ञों के अनुसार पटना में निबंधित वाहन करीब 11 लाख से अधिक है. इनसे भी वायुप्रदूषण हो रहा है.

ये हैं लक्षण

  • पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलती है

  • सबसे पहले रोगी को खांसी आती है

  • खांसी के साथ बलगम भी निकलता है

  • रोगी द्वारा थकान महसूस करना और उसके वजन का कम होते जाना

  • तेज खांसी से पीड़ित व्यक्ति को कुछ समय के लिए बेहोशी भी आ सकती है

  • बीमारी की गंभीर स्थिति में रोगी को सांस लेने की तुलना में सांस छोड़ने में ज्यादा वक्त लग सकता है

ये हैं बचाव

  • धूल, धुएं और प्रदूषित माहौल से बचें

  • रसोईघर में गैस व धुएं की निकासी के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए

  • डॉक्टर के परामर्श से हर साल इंफ्लुएंजा की और न्यूमोकोकल वैक्सीनें लगवानी चाहिए

  • धूम्रपान कर रहे व्यक्ति के करीब न रहे

हानिकारक तत्व खराब कर रहे फेफड़े

चेस्ट को सबसे अधिक नुकसान सल्फर डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइ ऑक्साइड और धूलकण से होता है. इन तत्वों से सबसे पहले सांस की नली में संक्रमण होता है. नली में सूजन हो जाती है. यदि सूजन का उपचार नहीं हुआ, तो फेफड़े खराब हो जाते हैं.

– डॉ अशोक शंकर सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, पीएमसीएच

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