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बड़ी कंपनियों की तरह काम करेंगी बिहार की शहरी स्वयं सहायता ग्रुप की महिलाएं, 92 समूहों का हुआ को-ऑपरेटिव सोसाइटी निबंधन

दीनदयाल शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी निकायों में गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब बड़ी कंपनियों के तर्ज पर भी काम कर सकेंगी.

अनिकेत त्रिवेदी, पटना. दीनदयाल शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी निकायों में गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब बड़ी कंपनियों के तर्ज पर भी काम कर सकेंगी. लगातार बढ़ते कारोबार के बाद राज्य के 92 स्वयं सहायता समूहों का निबंधन को-ऑपरेटिव सोसाइटी में किया गया है. इसके अलावा इन स्वयं सहायता समूहों की ओर से बनाये जा रहे उत्पाद के लिए अमेजन व फ्लिपकार्ट से भी एमओयू किया जा चुका है.

वहीं, बीते दो माह में इन स्वयं सहायता समूह के कुल 99 उत्पाद को बेचने के लिए इन ऑनलाइन सेल सर्विस देने वाली कंपनियों के साथ सहमति बनी है. फिलहाल बीते दो माह के भीतर शहरी गरीब महिलाओं के स्वयं सहायता समूह की ओर बनाये गये 15 उत्पादन ऑनलाइन उपलब्ध हो चुके हैं.

23 हजार स्वयं सहायता समूह का गठन

जीविका की तर्ज पर दीनदयाल उपाध्याय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी निकायों में महिलाओं के स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा रहा है. बीते पांच वर्षों में राज्य के लगभग शहरी निकाय इसकी जद में आ चुके हैं.

अब तक 23 हजार के करीब स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है. एक समूह में कम -से -कम दस और अधिकतम 15 महिलाएं जुड़ी हैं. इस हिसाब से कम- से- कम दो लाख तीस हजार महिलाओं का संगठन बन चुका है. इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 2300 व्यक्तिगत व 100 ग्रुप को लोन देने का लक्ष्य रखा गया है.

इस तरह मिलता है फायदा

इस योजना के तहत पहले शहरी गरीब दस से 15 महिलाओं के समूह का गठन किया जाता है. इसके बाद ग्रुप को प्रशिक्षण के लिए पहले दस हजार और फिर 50 हजार रुपये तक रिवोवलिंग फंड दिया जाता है. इसके बाद व्यापार के लिए ग्रुप की महिलाओं को व्यक्तिगत तौर पर दो लाख व ग्रुप के लिए दस लाख रुपये तक बैंक लोन उपलब्ध कराया जाता है.

इसके अलावा कर्ज देने के तहत स्वयं सहायता समूह को तीन प्रतिशत तक अतिरिक्त ब्याज अनुदान भी उपलब्ध कराया जाता है. इस योजना का लाभ देने के लिए स्थानीय नगर निकाय के माध्यम से कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से प्रशिक्षण देने का काम किया जाता है.

Posted by Ashish Jha

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