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बिहार के प्रोफेसरों पर विफरे विजय चौधरी, बोले- मौजूदा शिक्षक ही नहीं पढ़ा रहे हैं, तो नये से क्या उम्मीद

शिक्षा विभाग राज्य के विश्वविद्यालयों और कालेजों में पढ़ाई की रोज माॅनीटरिंग करेगा. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों का यह बहाना नहीं चलेगा कि शिक्षकों की कमी है.

पटना. शिक्षा विभाग राज्य के विश्वविद्यालयों और कालेजों में पढ़ाई की रोज माॅनीटरिंग करेगा. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालयों का यह बहाना नहीं चलेगा कि शिक्षकों की कमी है. विश्वविद्यालयों के मौजूदा शिक्षक जब पूरी क्षमता से कक्षाओं में पढ़ा ही नहीं रहे, तो नयी नियुक्तियां हो भी जायेंगी, तो उसका क्या लाभ होगा? मौजूदा शिक्षकों के अध्यापन कार्य का मूल्यांकन होना चाहिए.

कमी दूर करने में लगा है विभाग

शिक्षा मंत्री चौधरी ने यह बात शिक्षा विभाग के निर्देशन में प्रत्येक विश्वविद्यालयों में शुरू होने वाली कार्यशालाओं की कड़ी में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से संबंधित पहली कार्यशाला में गुरुवार को कही. उन्होंने साफ किया कि शिक्षा विभाग शिक्षकों की स्थायी तौर पर कमी को पूरा करने के लिए प्रयास कर रहा है.

शिक्षकों की कमी की बात बेमानी

उन्होंने कुलपतियों से आग्रह किया कि विश्वविद्यालयों और सरकारी कॉलेजों के लिए एक ऐसा ऑनलाइन पोर्टल बने जहां, रोजाना किसने कितनी कक्षाएं ली, क्या पढ़ाया गया, कितने बच्चे आये, इनकी जानकारी शिक्षा विभाग को रोजाना साझा की जाए. शिक्षा मंत्री ने कहा कि हाल में विश्वविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के अधिकार विश्वविद्यालयों को दे दिये हैं. जिस विषय के शिक्षक कम हैं, उनकी नियुक्ति करें. इसमें दिक्कत क्या है? शिक्षकों की कमी की बात बेमानी है.

उच्च शिक्षण संस्थाओं में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी

उन्होंने स्वीकार किया कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. इसको सरकार पूरा करेगी. हालांकि विश्वविद्यालयों को यह ध्यान रखना होगा कि किसी शैक्षणिक संस्थानों की पहचान वहां के शिक्षकों से होती है, न कि वहां के भवनों से.प्राइवेट कॉलेजों को अब हम स्थायी संबंधन दे रहे हैं. लेकिन उन्हें ईमानदारी से पढ़ाना होगा. अगर कोई कमी दिखी तो स्थायी संबंधन खतरे में भी पड़ सकता है.

बहाना नहीं चलेगा कि छात्र कक्षा में नहीं आते

शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह कहना बिल्कुल गलत है कि विद्यार्थी कक्षाओं में नहीं पहुंचते. मैं कहता हूं कि जब शिक्षक कक्षा में पहुंचेंगे, तो बच्चे कक्षा में जरूर आयेंगे. उन्होंने कहा कि विवि को शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए जो अनुदान दिया जा रहा है, वह उन्हें समय पर नहीं मिल रहा. यह अक्षम्य लापरवाही है. उन्होंने कटाक्ष किया कि दी जाने वाली धन राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया जा रहा है. बड़े दुख की बात है कि विवि प्रोत्साहन राशि का सत्यापन भी नहीं कर रहे हैं.

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