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Friday, March 29, 2024

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पटना में कारोबारियों के डूब गये करीब डेढ़ करोड़ रुपये, मंगायी गयी दवाएं अब होने लगीं एक्सपायर

व्यापारियों की मानें तो इमरजेंसी में संबंधित दवाएं कंपनियों की ओर से सीधे भेजी गयी थीं. सप्लाइ से पहले बिक्रेताओं के साथ एग्रीमेंट कराया गया था, जिसमें यह शर्त थी कि दवा एक्सपायर होने के बाद वापस नहीं होगी.

आनंद तिवारी/पटना. कोरोना की दूसरी लहर में कहीं ऑक्सीजन का अभाव था, तो कहीं मार्केट से दवाएं गायब थीं. तब मरीजों के लिए संजीवनी माने जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन 25 से 50 हजार रुपये तक में बिक रहे थे. इसे देखते हुए तीसरी लहर के पहले ही दवा कारोबारियों ने बड़ी संख्या में दवाएं मंगा ली थीं. लेकिन, अब स्थिति यह है कि बिहार की सबसे बड़ी दवा मंडी गोविंद मित्रा रोड में ऐसी दवाएं एक्सपायर हो रही हैं. रेमडेसिविर को कोई पूछ नहीं रहा. अनुमान है कि कोरोना की दूसरी लहर में मंगायी गयीं दवाओं की अवधि पूरी हो जाने की वजह से दवा कारोबारियों को करीब डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

आंकड़ों में दवाएं

  • 40 लाख की मोलनुपिराविर मई महीने में होगी एक्सपायर

  • 15 लाख की डीआरडीओ की 2 डॉक्सी-डी ग्लूकोज भी एक्सपायर

  • 550 वायल रेमडेसिविर की भी एक्सपायर होने जा रही हैं

  • 25 लाख रुपये के हैंड सेनिटाइजर भी एक्सपायर हो गये

  • 1000 स्पूतनिक की वायल एक्सपायर, अधिकांश लोग लगवाने नहीं आये

वापस नहीं करने का एग्रीमेंट

व्यापारियों की मानें तो इमरजेंसी में संबंधित दवाएं कंपनियों की ओर से सीधे भेजी गयी थीं. सप्लाइ से पहले बिक्रेताओं के साथ एग्रीमेंट कराया गया था, जिसमें यह शर्त थी कि दवा एक्सपायर होने के बाद वापस नहीं होगी. पूरन मेडिकल के डिस्ट्रीब्यूटर पूरन कुमार ने बताया कि कंपनियों ने कोविड की इमरजेंसी दवाएं लेने से मना कर दिया. पटना ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव राजेश आर्या ने बताया कि कंपनियाें के इन्कार करने के बाद लाखों का नुकसान हुआ.

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डेढ़ करोड़ का स्टॉक हॉस्पिटल और जीएम रोड में फंसा है

दवा व्यापारी व नर्सिंग होम मालिकों ने तीसरी लहर के दौरान करीब 40 लाख रुपये की मोलनुपिराविर स्टॉक कर लिया पर अब उसे न तो कंपनी वापस ले रही और न ही कोई पूछने वाला है. मई में ये एक्सपायर हो जायेंगी. इसी तरह 15 लाख की डीआरडीओ की 2 डॉक्सी-डी-ग्लूकोज दवा मंगायी गयी . इसी तरह डिस्ट्रीब्यूटर्स के रेमडेसिविर के करीब 550 वायल एक्सपायर हो गये, जिसे कोरोना की दूसरी लहर में मुंहमांगे दाम पर बेचा गया. इसके एक इंजेक्शन की कीमत तीन से पांच हजार के बीच थी. करीब 40 लाख रुपये कीमत की दवा का कोई इस्तेमाल नहीं हुआ.

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