पटना के स्कूलों में स्मार्ट क्लास बंद, धूल से कबाड़ में बदल रहे महंगे उपकरण

स्कूल में मौजूद उन्न्यन स्मार्ट क्लासेज का कमरा दुरूस्त है लेकिन इसके उपकरण क्षतिग्रस्त होने लगे हैं. लगातार छात्रों के क्लास नहीं पहुंचने की वजह से चूहों के द्वारा तार काटने का डर भी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2023 2:43 AM

पटना. जनवरी से बिहार में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय अलग-अलग वजह से बंद है. जनवरी में जाति जनगणना, फरवरी में इंटर और मैट्रिक की परीक्षाओं की वजह से पढ़ाई बाधित हो गई और इसी वजह से स्मार्ट क्लासेज भी बंद हो गई. इसके कारण पटना के सरकारी स्कूलों में पहले चल रहे स्मार्ट क्लासेज के उपकरणों पर धूल पड़ने लगी है.

पटना के शहरी और ग्रामीण इलाकों में 426 सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (समग्र शिक्षा अभियान) अरुण कुमार के मुताबिक, सभी सेकेंडरी स्कूलों को सीनिर सेकेंडरी स्कूलों में जगह की कमी की वजह से तब्दील कर दिया गया है. प्रभात खबर से बातचीत में अरुण कुमार ने माना कि पढ़ाई नहीं होने की वजह से स्मार्ट क्लासेज भी बंद है. लिहाजा कुछ उपकरणों के खराब होने की आशंका है.

पटना के मिलर हाई स्कूल, पटना हाई स्कूल, राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय शास्त्रीनगर में भी स्मार्ट क्लासेज हैं. लेकिन स्मार्ट क्लासेज से जुड़े उपकरण (टीवी, यूपीएस, स्पीकर) बेकार होने लगे हैं. मिलर हाई स्कूल में मौजूद उन्न्यन स्मार्ट क्लासेज का कमरा दुरूस्त है लेकिन इसके उपकरण क्षतिग्रस्त होने लगे हैं. लगातार छात्रों के क्लास नहीं पहुंचने की वजह से चूहों के द्वारा तार काटने का डर भी है.

मिलर हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाचार्य विनय कुमार सिंह के मुताबिक स्मार्ट क्लासेज रूम की अवधारणा सही है, लेकिन शिक्षकों की अलग-अलग जगहों पर ड्यूटी लग बच्चे यहां नहीं पहुंच रहे हैं. पटना हाई स्कूल में भी मौजूद स्मार्ट क्लासेज की दुर्गति होने वाली है.

इसी तरह कृष्ण वल्लभ सहाय उच्च माध्यमिक विद्ययालय में भी स्मार्ट क्लास के उपकरणों को नुकसान पहुंचा है.हालांकि शास्त्रीनगर स्थित राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय में मौजूद स्मार्ट क्लासेज दुरूस्त दिखी लेकिन यहां नुकसान की पूरी आशंका है.

क्या है उन्न्यन स्मार्ट क्लासेज?

साल 2017-18 में बांका के तत्कालीन डीएम कुंदन कुमार ने छात्रों को क्लासरूम में टीवी, स्पीकर के जरिए पढ़ाई शुरू कराने की कवायद की. देखते ही देखते इसकी तारीफ बिहार के साथ ही दूसरे प्रदेशों ने भी किया. छात्रों की टीवी और स्पीकर के जरिए क्लास रूम में सजीव ढ़ंग से पढ़ाई बांका उन्नयन के नाम से मशहूर होने लगी. खुद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पढ़ाई का ये नया मॉडल पसंद आया और उनके निर्देश पर बिहार के सभी माध्यमिक विद्यालयों में इसकी शुरुआत साल 2019 में हुई. छात्रों ने अपने सिलेबस से जुड़े विषयों को टीवी स्क्रीन पर पेश होता देख बांका उन्नयन मॉडल को हाथों हाथ लिया. लेकिन रखरखाव के अभाव में स्मार्ट क्लास के उपकरण खराब होने लगे हैं. एक स्मार्ट क्लासेज में 75 से 80 हजार के समान होते हैं .

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