पटना. बिहार के किसानों की सबसे बड़ी समस्या खेतीहर मजदूरों की कमी अब दूर होनेवाली है. किसानों को दलहनी फसलों की कटाई में अब खेतीहर मजदूर की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा. मसूर, चना, खेसारी, मटर जैसी दलहनी फसलों की कटाई मशीन से कराने के लिए पूसा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक विशेष शोध कर रहे हैं. इन फसलों की कटाई का काम मशीन से हो इसके लिए फसल और मिट्टी अनुरूप कटाई मशीन के निर्माण की दिशा में शोध जारी है. इस संबंध में वैज्ञानिकों का एक दल मोकाम टाल क्षेत्र का दौरा किया है.
टाल इलाके में होती है दलहनी फसलों की खेती
पटना सहित राज्य के छह जिलों में फैसे टाल क्षेत्र के लाखों हेक्टेयर में हर साल दलहनी फसलों की खेती होती है, लेकिन आज भी फसल कटाई के लिए उन्हें परम्परागत तरीके यानी खेतीहर मजदूरों पर आश्रित रहना पड़ता है. किसानों को हर साल इस कारण कटाई के समय परेशानी होती है. केंद्रीय राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अब उनकी समस्या का निदान दिलाने के लिए बड़ी पहल की है. मोकामा टाल का दौरा कर मशीन निर्माण की संभाव्यता का पता लगाने लाने पूसा विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों में पीके प्रणव, एसके पटेल और संजय कुमार शामिल रहे. टाल के किसानों ने वैज्ञानिकों को वहां की स्थिति से अवगत कराया. साथ ही उन्होंने खेतों में जाकर वहां का अवलोकन किया.
20 लाख लोग दलहन की खेती से जुड़े हैं
मोकामा टाल के इलाके पर अनुमानित रूप से 20 लाख लोग दलहन की खेती से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जीवकोपार्जन के लिए जुड़े हैं. ऐसे में किसानों की दलहनी फसलों की कटाई की समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिक दल ने मोकामा टाल का दौरा किया. वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां टाल में मसूर फसल में चुनौती अधिक है. जैसे कि मसूर का पौधा सूखने के बाद गिर जाता है. खेतों में ढेले का विषम आकार एवं दरार को ध्यान में रखकर मशीन तैयार करना होगा. वैज्ञानिकों ने यह उम्मीद जताई कि अगले साल तक एक समुचित मशीन बन जायेगी और टाल में ही इसका परिक्षण किया जायेगा.