मिथिलेश, पटना. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन का अकेला उम्मीदवार उतारने की तैयारी है. इस बार के चुनाव में एक बार फिर अरसे बाद बिहार विपक्ष की अगुआई करेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी दलों को एकसूत्र में बांध भाजपा के खिलाफ गोलबंद होने का प्रयास अब धरातल पर दिखने लगा है. उम्मीद की जा रही है कि इसी सप्ताह गैर भाजपाई दलों की बड़ी बैठक तय कर दी जायेगी. इस बैठक में लोकसभा की करीब पांच सौ सीटों पर वन- टू- वन भाजपा से मुकाबले की रणनीति और 2024 में सरकार बदली तो साझा कार्यक्रम के मसौदे पर भी मुहर लग सकती है.
विपक्षी दल आ रहे एक साथ
फिलहाल देश के अधिकतर विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ बनने वाले मोर्चे में शामिल होने की पहले दौर की हामी भरी है. उलझन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के रिश्तों को लेकर है, लेकिन जिस तरह से दिल्ली में अफसरों की तैनाती को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का मिजाज एक- सा बन रहा है, उससे आने वाले नौ महीने के बाद की तस्वीर साफ झलक रही है.
नीतीश कुमार की मुहिम हिंदी पट्टी में मजबूत दिख रही
विपक्षी को एकमंच पर लाने की पहल कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुहिम हिंदी पट्टी में मजबूत दिख रही है. दक्षिण के राज्यों में महाराष्ट्र में इसकी नींव पड़ चुकी है. कर्नाटक के चुनाव परिणाम ने विपक्ष को और संबल दिया है. आने वाले दिनों में दक्षिण के सुदूर राज्यों में भी विपक्षी एकता की अलख जगती दिख सकती है. इनमें तमिलनाडु के 39,कर्नाटक के 28,ओड़िशा के 21, महाराष्ट्र के 48 और केरल के लोकसभा की 20 सीटें सत्ता के समीकरण को उलटफेर करने के लिए काफी हैं. केंद्र की सत्ता के खिलाफ बिहार से निकली रणनीति की खास भूमिका रही है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में हो रही पहल उसी ऐतिहासिक निरंतरता में देखी जा रही है.
लोकसभा में भाजपा को बहुमत के आंकड़ें से 30 सीटें अधिक
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पूर्व में ही कहते रहे हैं कि लोकसभा में भाजपा को बहुमत के आंकड़ें से 30 सीटें अधिक हैं. विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखायी और भाजपा के साथ उनका सीधा मुकाबला हुआ, तो भाजपा का लगातार दूसरी बार जीत का तिलस्म इस बार कमजोर साबित हो सकता है.
2019 में भाजपा को लोकसभा की अधिकतम सीटें मिली थीं
हिंदी पट्टी में बिहार से 40, झारखंड से 14, यूपी के 80, राजस्थान के 25, मध्य प्रदेश के 29 और छत्तीसगढ़ के 11 के अलावा बंगाल की 42 सीटें शामिल किये जाने पर इनकी संख्या 241 होती है. हालांकि, यही वह प्रदेश है जहां से पिछली बार 2019 में भाजपा को लोकसभा की अधिकतम सीटें मिली थीं, लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार की परिस्थितियां बदली हुई हैं.
भाजपा ने भी तैयार की रणनीति
भाजपा ने भी अपनी जीत की रणनीति तैयार की है. पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार उसकी लोकसभा की सीटें पिछली बार से भी अधिक लाने की योजना पर पार्टी ने काम शुरू कर दिया है. इसके लिए अभी से बूथ आधारित कार्यकर्ताओं को चार्ज किया जा रहा है.