Prabhat Khabar EXCLUSIVE : बिहार में टेंट, टूरिस्ट टैक्सी जैसे कारोबार में बढ़ी युवाओं की रुचि, रोजगार मुहैया कराने का खास जरिया बनी मुख्यमंत्री उद्यमी योजना

टेंट और टूरिस्ट टैक्सी, ब्यूटी पार्लर के साथ-साथ फर्नीचर निर्माण, मसाला, जूता निर्माण, अगरबत्ती निर्माण, नोट बुक निर्माण और गारमेंट में युवा उद्यमियों ने रुचि दिखायी है.

By Prabhat Khabar | January 6, 2021 6:49 AM

राजदेव पांडेय, पटना. प्रदेश में रोजगार के परिदृश्य में टूरिस्ट टैक्सी और टेंट इंडस्ट्रीज रोजी-रोटी कमाने के बड़े जरिये के रूप में उभरी है.

मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अति पिछड़ा वर्ग उद्यमी योजना के तहत करीब एक हजार से अधिक लाभुकों में करीब 60 फीसदी से अधिक ने अकेले टेंट हाउस और टूरिस्ट टैक्सी के लिए लोन लिया है.

अधिकतम 10 लाख रुपये के लोन की इस योजना में इस तरह के धंधे के लिए लोन की मांग अप्रत्याशित तौर पर बढ़ रही है.

हालात ये हैं कि कई उत्साही युवाओं ने तो इस योजना के जरिये लोन से मिली राशि में अपने घर का पैसा लगाकर बड़ी टूरिस्ट टैक्सियां खरीदी हैं. टैक्सियों में फोर व्हीलर गाड़ियां ली गयी हैं.

इस ट्रेंड से जाहिर हो जाता है कि परिवहन और विभिन्न प्रकार के समारोह आयोजन से जुड़े सेक्टर में रोजगार की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

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विशेष बात यह है कि इस योजना के जरिये आर्थिक और जातीय आधार पर पिछड़े लोग तेजी से आकर्षित हुए हैं.

इसी संदर्भ में देखें तो इस योजना के तहत पढ़ी-लिखी लड़कियां ब्यूटी पार्लर खोलने के लोन लेने के लिए आगे आयी हैं.

ऊपर बताया गया आंकड़ा वर्ष 2020 का है. करीब 1026 लोन धारकों ने इस योजना के तहत इसी वर्ष काम शुरू किया है.

दरअसल, ऐसे लोन धारकों को लोन की तीसरी किस्त हाल ही में मिली है. इस योजना में इस साल करीब दो सौ करोड़ से अधिक के लोन दिये जा चुके हैं.

टेंट और टूरिस्ट टैक्सी, ब्यूटी पार्लर के साथ-साथ फर्नीचर निर्माण, मसाला, जूता निर्माण, अगरबत्ती निर्माण, नोट बुक निर्माण और गारमेंट में युवा उद्यमियों ने रुचि दिखायी है.

3.5 हजार से अधिक आवेदक

इस योजना के लाभुकों में सर्वाधिक संख्या पटना, मगध एवं तिरहुत प्रमंडल की है. शेष प्रमंडलों की हालत बेहद खराब है.

इस राशि की लोकप्रियता की वजह परियोजना की कुल लागत का पचास प्रतिशत या अधिकतम पांच लाख रुपये तक की राशि का ब्याज मुक्त होना है. इस योजना के तहत कुल आवेदकों की संख्या करीब साढ़े तीन हजार से अधिक है.

Posted by Ashish Jha

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