पीके शाही को फिर मिली महाधिवक्ता की जिम्मेदारी, लेंगे ललित किशोर की जगह

बिहार सरकार ने प्रशांत कुमार शाही को एक बार फिर राज्य का महाधिवक्ता बनाया है. इससे संबंधित विधि विभाग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. इससे पहले बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. वह पिछले 17 वर्षों से बिहार सरकार का लगातार पक्ष रख रहे थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2023 2:41 PM

पटना. बिहार सरकार ने प्रशांत कुमार शाही को एक बार फिर राज्य का महाधिवक्ता बनाया है. इससे संबंधित विधि विभाग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. इससे पहले बिहार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. वह पिछले 17 वर्षों से बिहार सरकार का लगातार पक्ष रख रहे थे. उनकी जगह पर यह नयी नियुक्ति की गयी है. पूर्व शिक्षा मंत्री और पटना हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता प्रशांत कुमार शाही को महाधिवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. ललित किशोर 31 जुलाई 2017 को 21 वें महा अधिवक्ता के रूप में पटना हाईकोर्ट में नियुक्ति हुए थे. अब प्रशांत किशोर साही की 22 वें महाधिवक्ता के रूप में नियुक्ति हुई है.

सामने नहीं आया इस्तीफे का कारण 

पिछले 17 वर्षों से महाधिवक्ता के पद पर कार्यरत ललित किशोर ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है. हालांकि उनके इस्तीफे के बाद पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीके शाही को बिहार सरकार ने महाधिवक्ता की नयी जिम्मेदारी दी है. पीके शाही बिहार के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. इसके अलावा वो विधान परिषद के सदस्य भी रहे हैं. अब एक बार फिर महाधिवक्ता की भूमिका में पीके शाही दिखाई देने वाले हैं.

नीतीश कैबिनेट के रह चुके हैं सदस्य 

पीके शाही का नीतीश कुमार के साथ पुराना संबंध रहा है. नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री बने थे, तो पीके शाही को महाधिवक्ता नियुक्त किया था. 2005-2010 तक पीके शाही महाधिवक्ता के पद पर रहे हैं. नीतीश कुमार ने 2010-2015 तक उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया. 2010 में सीएम नीतीश के सत्ता में लौटने के बाद पीके शाही को मंत्रिमंडल में शामिल किया था. उन्होंने शिक्षा, पर्यावरण और योजना जैसे अहम विभागों का जिम्मा संभाला था. कुछ साल पहले उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में अपने अभ्यास को फिर से शुरू करने के लिए राजनीति छोड़ दी.

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