पटना में अनुमति सिर्फ 150 वैन की, बच्चों को ढो रहे हैं बिना परमिट के 600 खटारा वैन

स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने में लगे वैन ही बच्चों की जान को खतरे में डाल रहे हैं. इन वैन में आरटीए के मानक को पूरा नहीं किया जा रहा है. ऐसे कई स्कूली वैन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनके पास परमिट भी नहीं है. ऐसे में लाजमी है कि इनकी फिटनेस जांच भी नहीं हो पाती है.

By Prabhat Khabar Print Desk | July 12, 2022 8:31 AM

अंबर पटना. स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने में लगे वैन ही बच्चों की जान को खतरे में डाल रहे हैं. इन वैन में आरटीए के मानक को पूरा नहीं किया जा रहा है. ऐसे कई स्कूली वैन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनके पास परमिट भी नहीं है. ऐसे में लाजमी है कि इनकी फिटनेस जांच भी नहीं हो पाती है.

केवल 20 मोटर कैब को ही परमिट जारी

इस वर्ष आरटी की ओर से अप्रैल से जुलाई तक केवल 20 मोटर कैब को ही परमिट जारी किया गया है. कुल मिला कर 150 स्कूली वैन के पास परमिट है, जबकि शहर के स्कूलों के 750 से अधिक वैन व कैब बच्चों को घर से स्कूल ले जाते है. इस तरह 600 स्कूली वैन ऐसे हैं, जिनके पास परमिट नहीं है.

फिटनेस जांच जरूरी

बिहार सरकार की ओर से स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए 2020 में नया मोटरगाड़ी अधिनियम बनाया गया है, जिसके तहत नये वाहन को दो साल के फिटनेस का सर्टिफिकेट दिया जाता है. इसके अलावा आठ साल से अधिक पुरानी गाड़ी को हर साल फिटनेस का सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य हैं.

बनाये गये हैं मानक

स्कूली कैब को दो तरह से परमिट दिया जाता है. अगर स्कूल का अपना कैब है, तो उन्हें डायरेक्ट परमिट दिया जाता है. वहीं, किसी निजी कैब का स्कूल ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस्तेमाल करता है, तो उन्हें स्कूल से अनुबंध करना होता है. स्कूल के प्राइवेट कैब का रंग पीला होना चाहिए.

क्या कहते हैं अधिकारी

बिना परमिट के स्कूल वैन या कैब चलाने वालों पर विभाग की ओर से बनी टीम फाइन करेगी. बिना परमिट के सड़कों पर चल रही गाड़ियों पर अभियान चलाकर फाइन किया जा रहा है. जल्द ही स्कूल के वाहनों की परमिट चेंकिंग को लेकर भी बैठक की जायेगी

– राकेश कुमार, सचिव,

आरटीए स्कूल की ओर से वैन की सुविधा नहीं मुहैया करायी जाती है. अभिभावक से संपर्क कर ही वैन ड्राइवर बच्चों को स्कूल लाते और ले जाते हैं. स्कूल की ओर से बस की सुविधा दी जाती है, जिसमें सभी मानकों का ख्याल रखा जाता है.

– सिस्टर जोसेफी, प्राचार्य, संत जोसेफ कॉन्वेंट

एक वैन में 10 से 15 बच्चों को बैठाया जाता है

शहर के स्कूलों के बच्चों को ढोने वाली अधिकतर वैन पुराने और खटारा हैं. इसके साथ ही कई वैन में अनुमति के बिना एलपीजी और सीएनजी किट लगायी गयी है. एक-एक वैन में 10 से 15 बच्चों को बैठाया जाता है. जगह न होने पर तीन बच्चों को ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठाया जाता है. एक से ज्यादा स्कूलों के बच्चों को ढोने के चक्कर में 60 से 70 के स्पीड में ये गाड़ियां पर फर्राटे भरती हैं, जबकि शहर में 40 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड नहीं होनी चाहिए.

Next Article

Exit mobile version