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लापरवाही: गौरव अल्ट्रासाउंड के संचालक और कर्मियों पर हुई प्राथमिकी, जांच घर के संचालक से पूछा गया स्पष्टीकरण

बीते 19 अप्रैल को लखीसराय के गुण सागर से जमुई पहुंची एक कोरोना पॉजिटिव एक महिला की जांच के बाद उसके संपर्क में आने वालों की खोजबीन शुरू कर दी गयी. महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया. इसे लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी के पत्रांक के आधार पर गौरव अल्ट्रासाउंड के संचालक तथा कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.

जमुई. बीते 19 अप्रैल को लखीसराय के गुण सागर से जमुई पहुंची एक कोरोना पॉजिटिव एक महिला की जांच के बाद उसके संपर्क में आने वालों की खोजबीन शुरू कर दी गयी. महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया. इसे लेकर प्रखंड विकास पदाधिकारी के पत्रांक के आधार पर गौरव अल्ट्रासाउंड के संचालक तथा कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. बता दें कि इसे लेकर जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने बीते 27 अप्रैल को गौरव अल्ट्रासाउंड के कर्मियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इसे लेकर जिलाधिकारी के गोपनीय कार्यालय पत्रांक से निर्गत निर्देश पत्र में गौरव अल्ट्रासाउंड के संचालक डॉ अजय कुमार पर एपिडेमिक डिजीज एक्ट की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था, जिसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी पुरुषोत्तम त्रिवेदी ने सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है.

इस खबर को लेकर प्रभात खबर ने पहले दिन से ही डॉ अजय कुमार का मामला उठाया था, कि आखिर जब महिला की जांच की गयी थी तो उस वक्त डॉ अजय कुमार मौजूद नहीं थे, और उनकी गैर मौजूदगी में लोगों की जांच की जा रही थी. वहीं, जिलाधिकारी के कार्यालय से निर्गत पत्र में यह निर्देश दिया गया था कि अल्ट्रासाउंड के कर्मियों और संचालकों की लापरवाही के कारण जमुई में कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो गया था, जिसके बाद उन पर कार्रवाई करते हुए 14 दिनों के भीतर अनुज्ञप्ति रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया था.

अनुज्ञप्ति रद्द करने की प्रक्रिया शुरू, पूछा गया स्पष्टीकरण

सिविल सर्जन विजयेंद्र सत्यार्थी ने बताया कि गौरव अल्ट्रासाउंड के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि इसे लेकर अल्ट्रासांउड संचालक से स्पष्टीकरण पूछा गया है. वहीं, तीन दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है. बता दें कि सिविल सर्जन के कार्यालय से जारी स्पष्टीकरण में लैब संचालक से दो महत्वपूर्ण सवाल किए गए हैं. जिसमें यह पूछा गया है कि आखिर किस कारण फैसले के द्वारा जो सूची उपलब्ध कराई गई. उसमें जांच कराने को लेकर पहुंचे मरीजों की सभी विवरण उपलब्ध नहीं कराई गई.

बीते दिनों जब पैथ लैब संचालक के द्वारा जिला प्रशासन को जांच कराने पहुंचे मरीजों की सूची उपलब्ध कराई गई थी, उसमें केवल नाम और कुछ अन्य जानकारियां दी थी, जबकि पूरा पता भी नहीं था, जिस कारण मरीजों को चिह्नित करने में काफी परेशानी आ रही है. अभी तक सभी मरीजों को चिह्नत नहीं किया जा सका है. साथ ही एपिडेमिक कॉन्ट्रैक्ट को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है. 3 दिनों के भीतर जवाब नहीं दिया जाता है, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी.

जिलाधिकारी के आदेश का अनुपालन करने में लगे 72 घंटे

बीते 27 अप्रैल को ही जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने इसे लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किया था तथा गौरव अल्ट्रासाउंड संचालकों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था. लेकिन स्वास्थ्य महकमे तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी को हरकत में आने में 72 घंटे लगे जिसके बाद 30 अप्रैल को कार्रवाई शुरू हुई. हालांकि सिविल सर्जन डॉ सत्यार्थी ने बताया कि बीते 29 अप्रैल को ही स्पष्टीकरण मांगा गया है. अब देखना यह है कि इस मामले में गौरव अल्ट्रासाउंड से जुड़े कर्मियों पर किस तरह की अग्रेत्तर कार्रवाई की जाती है.

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