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पटना कैसे होगा स्वच्छ, नगर निगम को दो वर्षों से कचरा प्रबंधन के लिए नहीं मिला पैसा, मेयर ने लिखा पत्र

मेयर सीता साहू ने नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र लिखा है. इसमें उपमुख्यमंत्री सह मंत्री नगर विकास एवं आवास विभाग का ध्यान राशि नहीं मिलने से होने वाली परेशानी की ओर ध्यान दिलाते हुए उनसे जल्द से जल्द नगर निगम का बकाया राशि निर्गत करने की मांग की है.

पटना. ठोस कचरा प्रबंधन मद में पटना नगर निगम को बीते दो वर्षों से पैसा नहीं मिल रहा है. 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए नगर निगम को 206 करोड़ रुपये मिलने वाले थे, लेकिन इसे बिना कोई कारण बताये विभाग द्वारा रद्द कर दिया गया. वित्तीय वर्ष 2022-23 में 213 करोड़ रुपये देना है, लेकिन वित्तीय वर्ष समाप्ति के करीब आने तक भी यह पैसा नहीं मिला है. इस प्रकार नगर निगम का बकाया बढ़ कर 419 करोड़ रुपये हो गया है. मेयर सीता साहू ने नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र लिखा है. इसमें उपमुख्यमंत्री सह मंत्री नगर विकास एवं आवास विभाग का ध्यान राशि नहीं मिलने से होने वाली परेशानी की ओर ध्यान दिलाते हुए उनसे जल्द से जल्द नगर निगम का बकाया राशि निर्गत करने की मांग की है.

निगम मद से हर माह 12 करोड़ का करना पड़ रहा भुगतान

ठोस कचरा प्रबंधन मद में मिलने वाली राशि से ही सफाई कार्य में इस्तेमाल होने वाले सभी छोटे एवं बड़े वाहनों के रखरखाव और मरम्मत से संबंधित विपत्र, ईंधन विपत्र, निगम के दैनिक कर्मियों एवं आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्यरत दैनिक कर्मी एवं चालकों का वेतन भुगतान ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 15वें वित्त आयोग की सिफारिश से मिलने वाली राशि से ही होता है. लेकिन इस मद में राशि प्राप्त नहीं होने से निगम मद से हर माह इस पर 12 करोड़ खर्च करना पड़ रहा है और साल भर में 144 करोड़ खर्च करने पड़ रहे हैं.

ठोस कचरा प्रबंधन के लिए प्रोसेसिंग प्लांट बिठाया गया

साथ ही रामाचक बैरिया में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए प्रोसेसिंग प्लांट भी बिठाया गया है, जिसके खर्च का भुगतान भी ठोस कचरा प्रबंधन मद से मिलने वाली राशि से ही होना है. लेकिन इस मद में राशि नहीं मिलने की वजह से इस खर्च का भुगतान भी निगम को होल्डिंग टैक्स और कचरा शुल्क जैसे अन्य मदों में प्राप्त होने वाली राशि से ही करना पड़ रहा है.

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निगम की आर्थिक स्थिति पर खराब असर

सशक्त स्थायी समिति के सदस्य आशीष सिन्हा ने कहा कि इसके कारण बकाया विपत्रों की संख्या भी बढ़ते जा रही है और निगम की आर्थिक स्थिति पर खराब असर पड़ रहा है जिससे अन्य काम भी प्रभावित हो रहे हैं. लिहाजा निगम हित में जल्द से जल्द राशि जारी की जानी चाहिए.

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