लोक शिकायत निवारण कानून : किशनगंज टॉप, तो पश्चिम चंपारण सबसे नीचे रैंक पर

लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत बेहतरीन और खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों की रैंकिंग जारी की गयी है. वर्ष 2021 में फरवरी तक इस अधिनियम में किये कार्यों की समीक्षा करने के बाद यह रैंकिंग तैयार की गयी है.

By Prabhat Khabar | March 13, 2021 6:48 AM

पटना. लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत बेहतरीन और खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों की रैंकिंग जारी की गयी है. वर्ष 2021 में फरवरी तक इस अधिनियम में किये कार्यों की समीक्षा करने के बाद यह रैंकिंग तैयार की गयी है.

इसके अनुसार सबसे बेहतर प्रदर्शन किशनगंज और सबसे खराब प्रदर्शन पश्चिम चंपारण जिले का रहा है. टॉप-3 जिलों में किशनगंज, शेखपुरा और शिवहर हैं, जबकि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले तीन जिलों में पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी शामिल हैं.

पिछले बार की तुलना में पटना की स्थिति बेहतर हुई है. 30 पायदान के आसपास रहने वाले पटना अपने प्रदर्शन को बेहतर करते हुए इस बार यह 12वें पायदान पर पहुंच गया है. जिलों की यह रैंकिंग इस कानून के अंतर्गत लोगों की समस्याओं का निबटारा समय पर प्रभावी और सही तरीके से करने को आधार बनाकर की जाती है.

इस कानून के तहत अब तक नौ लाख 14 हजार 268 मामले आये हैं, जिनमें आठ लाख 48 हजार 691 का निबटारा किया गया है. शेष लंबित मामलों पर सुनवाई चल रही है.

लापरवाही बरतने वाले छह अफसरों को नोटिस

राज्य सरकार ने लोक शिकायत निवारण कानून (आरटीपीजीआरए) में लोगों की समस्याओं का समाधान समय पर नहीं करने वाले छह पदाधिकारियों से शो-कॉज किया है. इनसे दो सप्ताह में जवाब मांगा गया है. अगर इनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.

इन पदाधिकारियों में गोपालगंज के जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के अलावा दानापुर, सहरसा सदर, रजौली और बांका के अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी शामिल हैं. इन पदाधिकारियों के स्तर से निबटाये गये मामलों की सैंपल जांच बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के स्तर से की गयी.

इसमें यह पाया गया कि उन्होंने कई मामलों में संबंधित व्यक्ति की समस्या का निबटारा निर्धारित समय में नहीं किया. वहीं, कई मामलों में जो निर्णय दिया, वह नियम के अनुसार नहीं है. इस वजह से इन पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है.

Posted by Ashish Jha

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