सिलिंडर की कमी से फूल सकती हैं सांसें, जानिये कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने को कितना तैयार है बिहार

कोरोना की दूसरी लहर के मंद पड़ने के साथ ही प्रशासन संभावित तीसरी लहर पर प्रभावी अंकुश की तैयारियों में जुटा है. दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भीषण किल्लत के बाद आइजीआइएमएस, एनएमसीएच व पीएमसीएच जैसे अस्पताल समेत अलग-अलग जगहों पर कई प्लांट लग रहे हैं.

By Prabhat Khabar | June 17, 2021 12:48 PM

पटना. कोरोना की दूसरी लहर के मंद पड़ने के साथ ही प्रशासन संभावित तीसरी लहर पर प्रभावी अंकुश की तैयारियों में जुटा है. दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भीषण किल्लत के बाद आइजीआइएमएस, एनएमसीएच व पीएमसीएच जैसे अस्पताल समेत अलग-अलग जगहों पर कई प्लांट लग रहे हैं.

उत्पादन भी आवश्यकता से अधिक हो रहा है और आगे भी रहेगा. लेकिन बैकअप के लिए पर्याप्त सिलिंडर की ही व्यवस्था नहीं हैं. ऑक्सीजन कारोबार से जुड़े लोगों की मानें, तो दूसरी लहर जैसी तबाही तीसरी लहर में दिखी, तो ऑक्सीजन की उपलब्धता के बावजूद सिलिंडर की कमी से दिक्कत होगी.

अभी पटना जिले में रोजाना 7500 से 8000 ऑक्सीजन सिलिंडर की उपलब्धता है. जानकारों का मानना है कि दूसरी लहर जैसी तबाही से निबटने के लिए पटना जिले में रोजाना करीब 15 हजार से 20 हजार सिलिंडर की जरूरत होगी.

10 हजार सिलिंडर की होती थी जरूरत

जानकारों का कहना है कि जैसे रसोई गैस के लिए अतिरिक्त सिलिंडर की आवश्यकता होती है, उसी तरह ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर अस्पताल प्रबंधकों को बैकअप का ध्यान देना होगा. पटना जिले में अप्रैल में जब कोरोना पीक पर था, तो जिले में रोजाना नौ हजार से 10 हजार सिलिंडर की आवश्यकता होती थी.

अभी पटना जिले में प्रतिदिन 7500 से 8000 के बीच ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध है. बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 1500 सिलिंडर लोगों ने खरीद कर अपने घरों में रिजर्व कर रखा है.

चीन से आती है पाइप

पटना केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पूर्व सचिव संतोष कुमार ने बताया कि ऑक्सीजन को लेकर हमें पहले ही सचेत रहने की आवश्यकता है. ऑक्सीजन सिलिंडर में कोई जोड़ नहीं होता है. विशेष स्टील से बनी पाइप चीन से आती है. इस समय माल भाड़ा बढ़ गया है. इससे देश में सिलिंडर बनाने वाली फैक्ट्रियों में दिक्कत है.

डेढ़ से दो गुना में बिक रहा था ऑक्सीजन सिलिंडर

प्राइवेट अस्पताल के प्रबंधकों के मुताबिक इस साल की शुरुआत में खाली जंबो सिलिंडर करीब 12 हजार और छोटे सिलिंडर 4000 हजार रुपये में मिल जाते थे. लेकिन आयात नहीं होने से इसे 18 से 20 हजार रुपये तक में बेचा गया.

अप्रैल व मई में कालाबाजारी को देखते हुई दलालों की गिरफ्तारी भी हुई. दलाल 30 हजार तक में खाली जंबो सिलिंडर बेच रहे थे. प्राइवेट ऑक्सीजन प्लांट से जुड़े महेश कुमार का कहना है कि अस्पतालों में बैकअप रहेगा, तो परेशानी नहीं होगी.

Posted by Ashish Jha

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