पटना. खैनी खाने वाले व्यक्तियों के आंख का सबसे नाजुक अंग कॉर्निया खराब होता है. डायबिटिज के मरीज अगर खैनी खाते हैं, तो उनमें यह खतरा अधिक होता है. खैनी खाने वाले व्यक्तियों का कॉर्निया के सबसे अंदर का भाग जिसे एंडोथेलियम कहते हैं, उसकी परत क्षतिग्रस्त हो जाती है. इस परत के क्षतिग्रस्त होने के बाद इसका ऑपरेशन या इलाज भी संभव नहीं है. सिर्फ कॉर्निया ट्रांसप्लांट से ही इलाज संभव है. इस तरह का शोध कर्नल (डॉक्टर) अशोक झा (रीटा) और उनकी टीम द्वारा किया गया है. गया निवासी डॉ झा द्वारा किये गये शोध का प्रकाशन लंदन की आइ - नेचर नामक पत्रिका में 18 अप्रैल 2023 को प्रकाशित किया गया है. उनका दावा है कि विश्व में अभी तक इस प्रकार का शोध पहली बार किया गया. इसका कॉर्निया के बचाव और इलाज में दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.
1234 नेत्र रोगियों पर किया गया है शोध
डॉ अशोक झा ने बताया कि उन्होंने कुल 1234 नेत्र रोगियों पर शोध किया. इसमें 948 खैनी खाने वाले थे जबकि 286 लोगों ने खैनी का किसी प्रकार का सेवन नहीं किया था. इस शोध में पाया कि इन मरीजों में कॉर्निया का सबसे अंदर का भाग कॉर्नियल एंडोथेलियल के पैरामीटर्स में परिवर्तन देखा गया. खैनी खाने वाले कुल 948 लोगों में 473 लोगों में मधुमेह की बीमारी थी, जबकि 475 लोगों में डायबिटीज की शिकायत नहीं थी.
50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पायी गयी शिकायत
रिसर्च में यह पाया गया कि जिन मधुमेह के मरीजों में एचबी-1एसी की औसत मात्रा 7.5 से कम है और वह 20 वर्षों से कम समय से डायबिटीज के मरीज हैं और खैनी खा रहे हैं, तो उनके कॉर्निया के सेल का घनत्व सामान्य आदमी की तुलना में कम पाया गया. महिलाओं में 50 वर्ष से अधिक उम्र में इस प्रकार की शिकायत पायी गयी है.
शोध पर चिकित्सकों ने बधाई दी
इस शोध में डॉ अशोक झा उनकी पत्नी डॉ चारिमा प्रिया और डॉ आदित्य वर्मा का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है. तीनों चिकित्सकों ने एक नये प्रकार के शोध को अंजाम दिया है. डॉक्टर (कर्नल ) अशोक झा(रिटा.) के इस इस उपलब्धि पर बिहार झारखंड से लेकर दिल्ली तक के चिकित्सकों ने बधाई दी है. बधाई देने वालों में पद्मश्री डॉ गोपाल प्रसाद सिन्हा, डॉ अभय सिंबा, डॉ अजय आलोक, डॉ अतुल गोगिया , डॉ प्रतिभा सहित दर्जनों चिकित्सकों शामिल हैं.