एमसीडी चुनाव में जदयू ने झोंकी ताकत, संजय झा ने संभाली कमान, जाने कितनी सीटों पर उतरे हैं उम्मीदवार

जनता दल (यूनाइटेड) एक बार फिर दिल्ली के एमसीडी चुनाव में अपना दमखम दिखाने को तैयार है. पिछली बार जदयू को कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी, लेकिन इस बार जदयू पूरी ताकत से मैदान में उतरने का दावा किया है. 4 दिसंबर को मतदान है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2022 4:20 PM

पटना. जनता दल (यूनाइटेड) एक बार फिर दिल्ली के एमसीडी चुनाव में अपना दमखम दिखाने को तैयार है. पिछली बार जदयू को कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी, लेकिन इस बार जदयू पूरी ताकत से मैदान में उतरने का दावा किया है. 4 दिसंबर को मतदान है. एमसीडी के कुल ढाई सौ वार्डों में चुनाव हो रहा है, लेकिन इस बार जदयू ने 22 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. पिछला विधानसभा चुनाव जदयू का भाजपा के साथ गठबंधन था, लेकिन इस बार पार्टी अपने दम पर चुनाव मैदान में है.

संजय झा को मिली है कमान

दिल्ली के एमसीडी चुनाव में पार्टी ने संजय झा को मोरचे पर लगाया है. उनके साथ सांसद चंदेश्वर सिंह चंद्रवंशी सहित कई नेताओं ने प्रचार भी किया है. दिल्ली जदयू प्रभारी मंत्री संजय झा का कहना है बिहारी और पूर्वांचल का वोट लेकर दिल्ली में सरकार बनती है, लेकिन उन्हें कोई सुविधाएं नहीं मिलती हैं. उनकी स्थिति बहुत ही दयनीय है. उन्होंने कहा कि हम लोगों की कोशिश बिहार में हुए काम के माध्यम से दिल्ली के बिहारी और पूर्वांचल के लोगों का साथ लेना है.

बिहार के गांव से बदतर दिल्ली के इलाके

संजय झा ने कहा कि मैं चैलेंज देता हूं बिहार का कोई गांव ले लीजिए और दिल्ली का 60% इलाका. दिल्ली का वो इलाका बिहार के किसी गांव से 100 गुना बदतर है. ना रोड है ना पीने का पानी है, सीवरेज भी नहीं है. हर जगह गंदगी है. रूम में लाइट जलता है, तब रोशनी आती है. विपरीत परिस्थितियों में रह रहे लोगों से वोट लेकर सरकार बना लिए कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. हम लोग वहीं चुनाव लड़ रहे हैं जहां हमारी पार्टी का आधार वोट है.

दिल्ली में एंट्री की कोशिश

जदयू पहले भी विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर अकेले चुनाव लड़ चुका है. पिछले चुनाव में नीतीश कुमार से लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रचार किया था, लेकिन खाता नहीं खुला. इसलिए नीतीश कुमार अब एमसीडी चुनाव के माध्यम से दिल्ली में एंट्री की कोशिश कर रहे हैं. जदयू की नजर बिहारी और पूर्वांचल के लोगों पर है. 50 से 60 वार्डों में पूर्वांचल के लोगों का दबदबा है.

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