Jayaprakash Narayan: इंदिरा गांधी को हराकर क्यों रोने लगे थे जेपी, जानें क्रांति के नायक से जुड़े किस्से

Jayaprakash Narayan: 1974 में छात्रों ने बिहार की राजधानी पटना में आंदोलन की शुरुआत की. यह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक रहेगा, इस शर्त पर जेपी ने उसकी अगुवाई करना मंजूर किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 11, 2022 6:00 AM

जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के खिलाफ थे. हालांकि जय प्रकाश नारायण इंदिरा गांधी को बेटी समान स्नेह करते थे. यह भी कहा जाता है कि अगर जय प्रकाश नारायण (JP) नहीं होते तो इंदिरा गांधी को कोई हरा भी नहीं पाता. 1974 में छात्रों ने बिहार की राजधानी पटना में आंदोलन की शुरुआत की. यह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक रहेगा, इस शर्त पर जेपी ने उसकी अगुवाई करना मंजूर किया. यह आंदोलन बाद में बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन बनकर उभरा. जेपी के आंदोलन से ही मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार जैसे राजनीति के धुरधंरों का जन्म हुआ.

इंदिरा गांधी को बेटी मानते थे जेपी

इंदिरा गांधी को हराने वाले जय प्रकाश नारायण ही थे. जेपी की पत्नी प्रभावती इंदिरा गांधी को अपनी बेटी मानती थीं, क्योंकि वह उनकी सखी कमला नेहरू की बेटी थीं. कहा जाता हैं कि अगर प्रभावती जीवित रहतीं तो शायद जेपी यह आंदोलन ही नहीं खड़ा कर पाते. 1973 में कैंसर से प्रभावती की मौत के बाद जेपी अकेले पड़ गए. इस पीड़ा से उबरने में जेपी को करीब एक साल लग गया था.

1977 में जीतने के बाद रो रहे थे जेपी

1977 में जेपी के आंदोलन के कारण इंदिरा गांधी का हार का सामना करना पड़ा. इंदिरा गांधी को हराकर जब जनता पार्टी सत्ता में पहुंची तो 24 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में विजय रैली का आयोजन हुआ. लेकिन, उस रैली में खुद जेपी ही नहीं पहुंचे. वे अपनी राजनीतिक विजय के सबसे बड़े दिन जेपी गांधी शांति प्रतिष्ठान से निकलकर रामलीला मैदान जाने की जगह सफदरजंग रोड की एक नंबर कोठी में गए. जहां पहली बार हारी हुई इंदिरा बैठी थीं. जेपी से मिलकर इंदिरा गांधी के आंसू आ गए. लेकिन, उससे भी ज्यादा हैरत की बात थी कि अपनी पराजित पुत्री के सामने जीते हुए जेपी भी रो रहे थे.

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