पिछले एक साल में पुआल जलाने की घटना हुई दोगुनी, बिहार सरकार की चेतावनी के बावजूद नहीं मान रहे किसान

फसल काटने के बाद उसके अवशेष (पुआल) को खेत में ही जलाने वाले किसानों को सरकार की सुविधाओं से वंचित करने का अभियान एक बार फिर चलेगा. कृषि निदेशक ने सभी जिलों के डीएम को कहा है कि वह फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर अंतरविभागीय बैठक कर जिम्मेदारी बांट दें.

By Prabhat Khabar | April 26, 2021 11:31 AM

पटना. फसल काटने के बाद उसके अवशेष (पुआल) को खेत में ही जलाने वाले किसानों को सरकार की सुविधाओं से वंचित करने का अभियान एक बार फिर चलेगा. कृषि निदेशक ने सभी जिलों के डीएम को कहा है कि वह फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर अंतरविभागीय बैठक कर जिम्मेदारी बांट दें.

डीएम को बैठक की रिपोर्ट कृषि निदेशक को भेजने के भी आदेश हैं. गौरतलब है कि राज्य में धान की कटनी के बाद पुआल जलाने के 1124 नये मामले आये हैं. कार्रवाई, जागरूकता अभियान और चेकिंग के बाद भी राज्य के विभिन्न जिलों के कुछ हिस्सों में किसान पुआल को खेत में ही जला दे रहे हैं.

ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए अभी तक कुल 2138 किसानों के पंजीकरण को अगले तीन सालों के लिए कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं से वंचित कर दिया गया है. इससे पूर्व कृषि निदेशक आदेश तितरमारे की अध्यक्षता में छह नवंबर को फसल अवशेष जलाने के मामलों को लेकर समीक्षा की गयी थी. उस समय तक विभाग के पास कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की गयी थी.

इसमें बताया गया था कि फसल अवशेष जलाने वाले 1016 किसानों का किसान पंजीकरण ब्लॉक कर डीबीटी के माध्यम से दी जाने वाली सहायता- सुविधाओं को रोक दिया है. नक्शा जुटा कर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सहायक निदेशक (शष्य) अब फसल अवशेष जलाने की घटनाओं के फोटो- नक्शा आदि एकत्रित कर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे. हर सप्ताह समीक्षा बैठक की जा रही है.

मुख्यमंत्री ने 23 जनवरी,2020 को आदेश दिया था कि अधिकारी किसानों पर केवल कार्रवाई ही नहीं करें, बल्कि उनको जागरूक करे़ं अवशेष के प्रबंधन के लिए किसानों के व्यवहारिक सुझाव लेकर अमल में लाएं.

एक साल में पुआल जलाने के मामले में दोगुनी वृद्धि

2019 में पूरे राज्य में पुआल जलाने की 376 घटनाएं हुई थीं. 2020 में यह संख्या बढ़ कर 1124 हो गयी. 2019 में फसल अवशेष जलाने की औरंगाबाद , भोजपुर,बक्सर, गया, कैमूर, मधुबनी, नालंदा, पटना और रोहतास में कुल 376 घटनाएं हुईं. बक्सर में सबसे अधिक 101 और कैमूर में 80 मामले सामने आये थे़ 2020 में भोजपुर में 32, कैमूर में 318 और रोहतास में 133 घटनाएं सामने आयी थीं.

धान की कटनी के बाद जो ताजा आंकड़े एकत्रित किये गये हैं उनमें सबसे अधिक 528 मामले रोहतास में आये. कैमूर में 152, बक्सर में 160, नालंदा में 106 हैं. अररिया, बांका, गोपालगंज, जहानाबाद और कटिहार में एक भी किसान ने धान काटने के बाद पुआल को खेत में नहीं जलाया है.

सबसे अधिक प्रभावित पटना और मगध प्रमंडल

पुआल जलाने की समस्या से सबसे अधिक प्रभावित पटना- मगध प्रमंडल पाये गये थे. इसको लेकर विशेष एहतियात बरती गयी थी. कृषि विभाग ने मगध क्षेत्र के 400 से अधिक पंचायतों में किसानों को चिह्नित किया था.

भोजपुर की करीब 22, बक्सर की 110, नालंदा 45, कैमूर 200 और रोहतास जिले की 70 पंचायतों सहित कई जिलों में किसानों के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया गया था. फसल अवशेष जलाने वाले पटना व मगध प्रमंडल के गांवों की सूची उनके जिला, प्रखंड, पंचायत और गांव के नाम के साथ आवश्यक कार्रवाई के लिए अधिकारियों को उपलब्ध करायी गयी थी.

Posted by Ashish Jha

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