गुड न्यूज : प्याज उपजाने में बिहार ने बनाया रिकॉर्ड, छह फीसदी उत्पादन के साथ हासिल किया देश में चौथा स्थान

मक्का, धान के बाद अब बिहार प्याज उत्पादन में भी अपने पुराने सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं. इतना ही नहीं भारत के प्याज उत्पादन में बिहार ने चौथे स्थान पर कब्जा कर लिया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 5, 2021 5:17 PM

पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कृषि रोड मैप का असर अब दिखने लगा है. मक्का, धान के बाद अब बिहार प्याज उत्पादन में भी अपने पुराने सारे रिकार्ड तोड़ डाले हैं. इतना ही नहीं भारत के प्याज उत्पादन में बिहार ने चौथे स्थान पर कब्जा कर लिया है. देश भर के प्याज उत्पादन में बिहार की कुल हिस्सेदारी अब लगभग छह फीसदी हो गयी है.

निश्चित तौर पर बिहार जैसे राज्य के लिए ये बड़ी उपलब्धि है. बिहार में लगभग 58 लाख हेक्टेयर में प्याज की खेती होती है. 14 लाख टन के करीब प्याज का उत्पादन होता है. सबसे ज़्यादा नालंदा और पटना जिले में प्याज़ का उत्पादन होता है.

कल तक प्याज आयात करनेवाला बिहार आज प्याज निर्यात कर रहा है. बिहार का प्याज़ देश के दूसरे राज्यों के साथ-साथ विदेश में भी जा रहा है. बांग्लादेश में तो बिहार के प्याज की काफी डिमांड है.

बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्याज़ का बढ़ता उत्पादन बिहार में कृषि के विकास को दर्शाता है. हमारी सरकार यह प्रयास कर रही है कि किसानों को ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा हो. इसके लिए बड़े पैमाने पर प्रोसेसिंग और भंडारण क्षमता बढ़ायी जा रही है. उन्होंने कहा कि प्याज़ के उत्पादन बढ़ने से किसानों को बड़ा फ़ायदा तभी होगा जब प्याज़ के भंडारण की समुचित व्यवस्था होगी. किसानों का प्याज बर्बाद ना हो इसका हम लोग सबसे पहले व्यवस्था कर रहे हैं. इसके लिए सरकार निवेशकों को प्रोत्साहित भी करेगी.

प्याज के प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज़्य के उन ज़िलों को प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना से भी जोड़ना होगा, जिसके माध्यम से प्याज़ को बर्बाद होने से बचाया जा सके.

फिलहाल पटना और शेखपुरा को जोड़ा गया है. प्याज़ से जुड़े प्रोडक्ट जैसे प्याज़ का पाउडर और पेस्ट का बाज़ार में ज़बरदस्त मांग है. फिलहाल बिहार में जितनी मांग है, उतना मार्केट पूरा नहीं कर पाता है, इस वजह से दूसरे राज्यों से मंगाया जाता है. अगर बिहार में ही ऐसे छोटे छोटे उद्योग बैठाये जाएं जिसकी लागत लगभग दस लाख के आसपास आती है, तो इसका बड़ा फायदा बिहार के प्याज़ उत्पादन करने वाले किसानों को मिल सकता है.

Posted by Ashish Jha

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