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सार्वजनिक हुए 121 विद्रोहों के दस्तावेज, अब घर बैठे देखें बिहार अभिलेखागार में मौजूद इतिहास

पटना. अगर आपको 1857 के गदर या ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिहार-झारखंड हुए विद्रोह के बारे में विस्तार से जानना है, तो यहां-वहां भटकना नहीं पड़ेगा. बिहार राज्य अभिलेखागार ने 1832 से 1916 तक बिहार-झारखंड में ब्रिटिश हुकूमत के हुए विरोध के दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया है.

शशिभूषण कुंवर, पटना. अगर आपको 1857 के गदर या ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बिहार-झारखंड हुए विद्रोह के बारे में विस्तार से जानना है, तो यहां-वहां भटकना नहीं पड़ेगा. बिहार राज्य अभिलेखागार ने 1832 से 1916 तक बिहार-झारखंड में ब्रिटिश हुकूमत के हुए विरोध के दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया है.

इनमें 1857 के गदर के मौके पर पटना के तत्कालीन कमिश्नर इए सैमुअल द्वारा बंगाल के सचिव को लिखा गया पत्र भी शामिल है. बिहार में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ पहला दस्तावेज 1832 का है.

121 दस्तावेजों की शृंखला की गयी ऑनलाइन

आजादी के 75 वर्ष पर मनाये जा रहे अमृत महोत्सव के मौके पर अभिलेखागार ने 121 दस्तावेजों की शृंखला ऑनलाइन प्रकाशित की है. अब ये अभिलेखागार की वेबसाइट पर पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं.

इस शृंखला में पटना के तत्कालीन कमीश्नर इए सैमुलअल द्वारा एक सितंबर, 1857 को हैदर अली खान की गिरफ्तारी, छह सितंबर, 1857 को बिहार में सिपाही विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सिपाहियों की उपलब्धि का जिक्र, पांच अगस्त, 1857 को छोटानागपुर में सिपाही विद्रोह का रजिस्टर और 22 जून, 1857 को नारायण सिंह फकीर, ज्वाला सिंह व रामदास को छह माह की सजा के लिए लिखा गया बंगाल के सचिव का पत्र भी शामिल है.

जब पटना के कमिश्नर ने बंगाल के सचिव को घसीटा कालू खान और पैगंबर बख्श को फांसी की सजा के लिए हाथ से जो कॉपी लिखी थी, उसे भी प्रकाशित किया गया है. पटना के कमिश्नर द्वारा आजमगढ़, बलिया व गोरखपुर में बाबू कुंवर सिंह के विद्रोह को लेकर लिखा गया पत्र भी आप देख सकते हैं.

इसी प्रकार अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पटना के बिहार नेशनल कॉलेज (बीएन) के कनेक्शन को लेकर लिखा गया पत्र भी शामिल हैं. इतिहास में रुचि रखनेवालों के लिए इन दस्तावेजों के सार्वजनिक होना एक अनमोल उपहार के समान है.

Posted by Ashish Jha

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