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Coronavirus in Bihar : घर में सुविधा का संकट, अस्पतालों में जगह नहीं, जायें तो जायें कहां कोरोना के मरीज

कोरोना की वजह से राजधानी पटना के सरकारी समेत कई प्राइवेट अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में लोगों के पास घर पर ही बीमार लोगों का इलाज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. लेकिन लोगों के लिए घर पर भी इलाज करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि राजधानी पटना सहित ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत है.

पटना. कोरोना की वजह से राजधानी पटना के सरकारी समेत कई प्राइवेट अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में लोगों के पास घर पर ही बीमार लोगों का इलाज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. लेकिन लोगों के लिए घर पर भी इलाज करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि राजधानी पटना सहित ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत है. कोरोना संक्रमण के मरीजों को दी जाने वाली जरूरी दवाएं बाजारों से गायब हैं और इनकी कालाबाजारी हो रही है.

केस-1

श्री कृष्णा नगर की निवासी मीनू कुमारी के बेटे को कोरोना संक्रमण हो गया. वह घर पर ही होम आइसोलेशन में थे. अचानक ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा. मीनू आनन-फानन में पाटलिपुत्र व बोरिंग रोड के दो बड़े अस्पताल में बेटे को भर्ती कराने पहुंचीं. लेकिन किसी भी अस्पताल वालों ने भर्ती नहीं लिया. हालांकि अंत में अपनी फैमिली डॉक्टर के सलाह पर घर पर ही ऑक्सीजन देकर बेटे का इलाज किया.

केस-2

बिहटा की पूर्व मुखिया धनमंती देवी कोरोना से संक्रमित हो गयीं. अस्पतालों की दयनीय स्थिति देखते हुए परिजनों ने शुरुआत में घर पर ही इलाज कराया. लेकिन हालत खराब होने के बाद परिजन उन्हें बिहटा स्थित इएसआइसी अस्पताल लेकर गये. लेकिन समय पर बेड व इलाज नहीं मिलने की वजह से उनकी मौत हो गयी.

केस-3

राजेंद्र नगर निवासी सुनीता गुप्ता के पिता को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद ऑक्सीजन की कमी होने लगी. ऑक्सीजन सिलिंडर के लिए पूरा परिवार तलाश में लगा रहा. उनके पिता की तबीयत हर बीतते दिन के साथ बिगड़ती जा रही है. सुनीता शहर के कई प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों का चक्कर काट चुकी हैं, लेकिन किसी अस्पताल में बेड नहीं मिला, नतीजतन बाद में मौत हो गयी.

इस मामले में रूबन हॉस्पिटल की निदेशक डॉ सत्यजीत सिंह कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग को जिले के सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या बढ़ानी चाहिए. एक अस्पताल में 300 बेड हो, ताकि पलायन न हो. वहीं सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी का कहना है कि शहर के करीब 100 से अधिक प्राइवेट अस्पतालों में इन दिनों कोविड का इलाज जारी है. वहीं, धीरे-धीरे सरकारी व निजी अस्पतालों में बेडों में इजाफा किया जा रहा है.

भगवान भरोसे मरीज

कोरोना मरीजों की परेशानी को देखते हुए प्रभात खबर टीम ने सोमवार को शहर के बोरिंग रोड, कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, दिनकर गोलंबर, हनुमान नगर, बेली रोड, बुद्धा कॉलोनी, डॉक्टर कॉलोनी, न्यू पाटलिपुत्र सहित एक दर्जन जगहों पर अस्पतालों और ट्रॉमा सेंटर की पड़ताल की.

इस दौरान अधिकतर अस्पतालों में खास कर ओपीडी सेवा पूरी तरह से बंद मिली. जो सामान्य मरीज थे, उन्हीं को भर्ती किया जा रहा था. वहीं, कोरोना मरीज को लौटा दिया जाता था. अस्पताल के कर्मियों ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया. जिन जगहों पर तैयार हुए, वहां भी पुरानी पर्ची के आधार पर और डॉक्टर से निर्देश के बाद ही मरीज की पूरी जांच के बाद ही भर्ती करने की बात कही.

कोरोना मरीजों को पानी चढ़ाने तक तैयार नहीं निजी अस्पताल

यदि आप कोरोना के हल्के लक्षण वाले मरीज हैं और दस्त या उल्टी हो रही है. डॉक्टर ने अस्पताल ले जाकर पानी चढ़ाने की सलाह दी है, तो शहर के किसी भी अस्पताल में बेड नहीं उपलब्ध हो पायेगा. इतना ही नहीं आपको सर्दी-खांसी, बुखार, सीने या पेट दर्द की शिकायत है, तो निजी अस्पतालों में भी आपका इलाज नहीं होगा.

कंकड़बाग के जगदीश मेमोरियल, श्री सांईं, सत्य सांईं, श्री राम नर्सिंग होम, पॉपुलर, सहयोग समेत दर्जनों हॉस्पिटल में कोरोना मरीज को भर्ती के बारे में पूछने पर मना कर दिया गया. वहीं, कंकड़बाग के ही सांईं हॉस्पिटल में हार्ट के मरीज को सीने में दर्द होने की बात बताने पर स्टाफ ने सर्दी, खांसी, बुखार, सीने में दर्द की पूरी जानकारी ली. फिर कहा चेकअप के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी. इमरजेंसी में डॉक्टरों के निर्देश के बाद उन्हीं मरीजों को देखा जा रहा है, जिन्हें सर्दी, खांसी, बुखार, सीने में दर्द, आंखों का संक्रमण समेत कोरोना नहीं है़

Posted by Ashish Jha

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