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Friday, March 29, 2024

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Coronavirus in Bihar : बिहार में मौत का आंकड़ा छुपाया तो होगी कार्रवाई, कच्चा बिल बनानेवाले अस्पताल पर हुआ FIR

कोरोना मरीजों की मौत छिपाने, स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं देने और फीड न करने पर सिविल सर्जन की ओर से सख्ती दिखायी गयी है. जिलाधिकारी के निर्देश पर सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से सभी कोविड अस्पतालों को सोमवार को चेतावनी नोटिस जारी किया गया है.

पटना. कोरोना मरीजों की मौत छिपाने, स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं देने और फीड न करने पर सिविल सर्जन की ओर से सख्ती दिखायी गयी है. जिलाधिकारी के निर्देश पर सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से सभी कोविड अस्पतालों को सोमवार को चेतावनी नोटिस जारी किया गया है.

सिविल सर्जन डॉ विभा कुमारी ने बताया कि कोविड संकट की वजह से पटना जिले के कुछ ऐसे प्राइवेट अस्पताल हैं, जो जानकारी फीड नहीं कर पाये हैं. ऐसे में अब सभी को हर दिन मौतों की जानकारी फीड करने का आदेश दिया गया है. हालांकि, शहर के कई बड़े अस्पताल स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दे रहे हैं.

वहीं, जो अस्पताल आदेश का पालन नहीं करेंगे, वैसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. जल्द ही चिह्नित अस्पतालों को चेतावनी नोटिस उनके अस्पतालों में भिजवा दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि बिना सिविल कार्यालय से सहमति लिये कोरोना मरीज को भर्ती नहीं करना है.

सारांश हॉस्पिटल पर दर्ज हुई प्राथमिकी

बाइपास थाने के छोटी पहाड़ी पर स्थित सारांश हॉस्पिटल में मरीज के एक दिन के इलाज के लिए 50 हजार रुपये लिये गये. इसके साथ ही कंप्यूटराइज्ड बिल के बजाय कच्चा बिल थमा दिया. नन कोविड अस्पताल होते हुए भी यहां पर कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा था.

तीन-चार दिन पहले जिला प्रशासन के धावा दल ने इस अस्पताल की शिकायत आने के बाद नोटिस थमाया था. लेकिन उसका भी जवाब अस्पताल प्रशासन ने नहीं दिया और मंगलवार को जब फिर से एक अन्य शिकायत की जांच करने पहुंचे धावा दल को देख कर अस्पताल से जुड़े तमाम लोग फरार हो गये और आरोपों के संबंध में कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किया गया.

इसके बाद मजिस्ट्रेट गौरव रंजन कुमार ने बाइपास थाने में अस्पताल प्रबंधन व कर्मियों के खिलाफ इलाज के नाम पर लाखों की राशि वसूलने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करा दी.

कई मरीजों के परिजनों ने लगाया है आरोप

सारांश अस्पताल में भर्ती मरीज राजकिशोर के परिजनों ने जिला प्रशासन के धावा दल को शिकायत की थी कि उनके मरीज के इलाज के लिए प्रतिदिन 50 हजार रुपये लिये गये और एक सादे कागज पर बिल बना कर दे दिया. दवा के लिए भी अधिक राशि ली गयी.

तीन-चार दिन पहले अस्पताल में जा कर धावा दल ने आरोपों के संबंध में जवाब मांगते हुए नोटिस दिया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद फिर से मंगलवार को एक अन्य मरीज के परिजन ने शिकायत की कि उनसे भी अधिक राशि इलाज के नाम पर ली गयी है. धावा दल अस्पताल पहुंचा. लेकिन मजिस्ट्रेट व जवानों को देख कर अस्पताल प्रबंधन से कोई सामने नहीं आया और अस्पताल से चुपके से निकल गया.

नहीं दिखाया गया दस्तावेज

धावा दल ने वहां मौजूद एक डॉक्टर व कर्मी से आरोपों के संबंध में दस्तावेज की मांग की, लेकिन कुछ नहीं मिला. इसके बाद प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी. बाइपास थानाध्यक्ष संजीत कुमार सिन्हा ने प्राथमिकी दर्ज किये जाने की पुष्टि की.

धावा दल में शामिल वरीय उप समाहर्ता प्रवीण कुंदन ने बताया कि अस्पताल के खिलाफ में पहले भी शिकायत मिली थी. इसके बाद फिर से शिकायत मिलने के बाद जांच करने के लिए गये थे़ जहां वे लोग आरोपों के संबंध में कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाये.

Posted by Ashish Jha

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