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बिहार में कोरोना निगेटिव को बताया पॉजिटिव, मौत के बाद दो लाख का बिल थमाया

रुपयों के लालच में अस्पताल वालों की मनमानी थम नहीं रही. कोरोना जैसे आपदा को अवसर बनाकर कुछ प्राइवेट अस्पताल मरीजों से लूट-खसोट कर रहे हैं.

पटना. रुपयों के लालच में अस्पताल वालों की मनमानी थम नहीं रही. कोरोना जैसे आपदा को अवसर बनाकर कुछ प्राइवेट अस्पताल मरीजों से लूट-खसोट कर रहे हैं. हद तो यह है कि निगेटिव मरीज की दूसरी बीमारी से तबियत खराब होने के बाद उसे कोरोना पॉजिटिव बताकर भर्ती किया गया और चार दिनों में दो लाख रुपये का बिल थमा दिया गया.

कुछ निजी अस्पताल तो जनरल व सीसीयू बेड पर भर्ती मरीज से आइसीयू का चार्ज वसूल रहे हैं. प्रभात खबर ने इससे पीड़ित मरीजों खुल कर अपनी बात शेयर करने का मौका दिया. इसके बाद बड़ी संख्या में लोग लगातार प्रभात खबर को फोन कर अपनी परेशानियां बता रहे हैं.

चार दिनों में हुई मौत, कहा- बिल  चुकाओगे तभी देंगे डेथ सर्टिफिकेट

सुपौल जिले के छतरपुर निवासी 55 साल के मदन साह को 16 अप्रैल को पूर्णिया जिले के अल्पना न्यूरो हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. 20 अप्रैल को उनकी मौत हो गयी. उनके दामाद अजय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि सदर अस्पताल में जब कोरोना की जांच करायी तो निगेटिव बताया गया. लेकिन, न्यूरो हॉस्पिटल ने खुद के लैब से जांच करायी और कोरोना पॉजिटिव बताकर उन्हें भर्ती कर लिया.

चार दिनों में मौत हो गयी आैर डॉक्टरों ने दो लाख रुपये का बिल थमा िदया. 15-15 हजार के चार रेमडेसिविर इंजेक्शन अलग से दलाल के माध्यम से लिये गये. मरने के बाद डेथ सर्टिफिकेट भी नहीं दिया गया. अजय की मानें तो उन्होंने गूगल पे के माध्यम से 1.60 लाख रुपये दे दिये हैं. लेकिन अस्पताल का कहना है कि जब तक 40 हजार रुपये नहीं मिलेंगे, तब तक सर्टिफिकेट नहीं दिया जायेगा.

10 दिनों में इलाज का साढ़े तीन लाख का दिया बिल

गया जिले के बाराडीह गांव के दीपक कुमार ने मां बीना देवी को गया के जेपी मेमोरियल इंस्टीट्यूट रिसर्च हॉस्पिटल में 11 अप्रैल को भर्ती कराया था. 21 अप्रैल को उनकी मौत हो गयी. बेटे की िशकायत है कि 10 दिनों में कभी सीसीयू, कभी जनरल तो कभी आइसीयू में इलाज किया. लेकिन 11 से 21 अप्रैल का बिल आइसीयू बेड का बनाया गया.

भर्ती से पहले से 50 हजार रुपये जमा करा लिये गये, जबकि 10 दिनों का खर्च साढ़े तीन लाख वसूले गये. वहीं, जब इस राशि के बिल की मांग की गयी तो मना कर दिया गया. पूरे रुपये जमा करने के बाद ही शव मिला.

बी श्रेणी के जिलों में चिकित्सा शुल्क

  • मरीज एनएबीएच मान्यता बिना एनएबीएच मान्यता

  • साधारण बीमार 8,000 रुपये 6,400 रुपये

  • (आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन के साथ सपोर्टिव केयर)

  • गंभीर बीमार 12,000 रुपये 10,400 रुपये

  • (वेंटिलेटर के बिना ICU में देखभाल)

  • अति गंभीर बीमार- 14,400 रुपये 12,000 रुपये

  • (वेंटिलेटर के साथ ICU में देखभाल)

बी श्रेणी के जिलों में आते हैं ये दोनों प्राइवेट अस्पताल

स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के इलाज के लिए शुल्क तय कर दिया है. इसके तहत जिलों को तीन श्रेणियों (ए,बी,सी) में बांटा गया है. ए में पटना, जबकि बी में भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया व पूर्णिया हैं. सी में शेष अन्य जिले हैं. इसके अलावा अस्पतालों को भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है.

पूर्णिया के सिविल सर्जन डाॅ एसके वर्मा ने बताया कि यह गंभीर मामला है. वैसे इस तरह की कोई शिकायत उनके तक नहीं पहुंची है. अगर कोई शिकायत करता है तो जांच कर विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.

गया के सिविल सर्जन डॉ केके राय ने कहा कि उक्त पीड़ित परिवार ने शिकायत नहीं की है. शिकायत मिलने पर जांच की जायेगी. जांच में अस्पताल प्रबंधन दोषी पाया गया, तो उसके लाइसेंस तक रद्द किये जायेंगे.

Posted by Ashish Jha

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