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Corona Impact : पटना के श्मशान घाट पर नहीं बुझ रही चिता की आग, दाह संस्कार के लिए घंटों कतार में दिखे दर्जनों शव

कोरोना से मौत के बाद डेड बॉडी के दाह संस्कार में परिजनों को काफी परेशानी हो रही है. बांस घाट के विद्युत शव दाह गृह में चिता की आग ठंडी नहीं होती है कि दूसरा शव जलाने को तैयार रखा जाता है.

पटना. कोरोना से मौत के बाद डेड बॉडी के दाह संस्कार में परिजनों को काफी परेशानी हो रही है. बांस घाट के विद्युत शव दाह गृह में चिता की आग ठंडी नहीं होती है कि दूसरा शव जलाने को तैयार रखा जाता है. नतीजा भूखे-प्यासे परिजनों को शव जलाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. दाहसंस्कार के लिए नंबर लगाना पड़ रहा है.

सुबह 9 बजे जिन्होंने नंबर लगाया, शाम पांच बजे उनकी बारी आ रही है. बांसघाट में मंगलवार को कोरोना से हुई मौत के बाद 30 डेड बॉडी को दाह संस्कार के लिए लाया गया था. सुबह से दाह संस्कार की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी रात साढ़े 10 बजे नौ डेड बॉडी दाह संस्कार के लिए कतार में थे. दाह संस्कार के लिए परिजनों द्वारा सुबह में ही लाइन लगायी गयी थी. रिवाज के अनुसार जब तक डेड बॉडी का दाह संस्कार नहीं होता है, तब तक परिजन कुछ भी ग्रहण नहीं कर सकते हैं.

बांस घाट पर ही दाह संस्कार की व्यवस्था

कोरोना से होनेवाली मौत के बाद जिला प्रशासन की ओर से सभी डेड बॉडी को बांस घाट पहुंचाया जाता है. विद्युत शव दाह गृह में एक डेड बॉडी के दाह संस्कार में लगभग एक से सवा घंटे लगता है. ऐसे में देर रात तक दाह संस्कार का काम होता रहा. वहीं कुछ लोग लकड़ी पर भी दाह संस्कार कर रहे हैं. हालांकि, उसकी संख्या कम है.

जानकारों के अनुसार लकड़ी से दाह संस्कार में मनमानी की जाती है. लकड़ी के कारोबारी अधिक दाम की मांग करते हैं. इससे परेशान होकर लोग विद्युत शव दाह गृृह में दाह संस्कार कराना मुनासिब समझते हैं. गुलबीघाट में एक विद्युत शव दाह गृह काम कर रहा है. इस वजह से बांस घाट में अधिक भीड़ है.

Posted by Ashish Jha

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