Chaiti Chhath Puja: पटना में सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देंगे छठ व्रती, जानें पूजा विधि, शुभ समय

Chaiti Chhath Puja: छठ व्रती अर्घ्य देने के बाद घाट अपने घर वापस जा रहे है. छठ घाट पर जाने और वापस आने वालों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए ट्रैफिक रूटों में भी बदलाव किया गया है. आज अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उदयमान सूर्य के निकलने के इंतजार व्रतियां करेंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2022 7:38 PM

Chaiti Chhath Puja 2022: पटना. आज चैती छठ पूजा का तीसरा दिन है. आज छठ घाट पर व्रतियां भगवान सूर्य को डूबते समय अघ्य दिये. चैती छठ लोक आस्था का पर्व है. छठ पूजा बिहार, झारखंड और नेपाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. छठ व्रती अर्घ्य देने के बाद घाट से वापस अपने-अपने घर के लिए निकल रहे है. छठ घाट तक जानेवालों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए ट्रैफिक रूटों में भी बदलाव किया गया है. छठ पूजा का व्रत नहाय खाय के साथ मंगलवार से शुरुआत हुई है. आज अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उदयमान सूर्य के निकलने के इंतजार व्रतियां करेंगी. इसके साथ ही यह महापर्व संपन्न होगा.

अर्घ देने का शुभ मुहूर्त

  • सूर्यास्त का समय (संध्या अर्घ) : 7 अप्रैल दिन गुरुवार शाम 06:12 बजे

  • सूर्योदय का समय (उषा अर्घ) : 8 अप्रैल दिन शुक्रवार सुबह 05:47 बजे

चैती छठ पूजा का विशेष महत्व

चैती छठ पूजा का विशेष महत्व होता है. छठ महापर्व चार दिवसीय होता है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान के निरोगिता एवं समृद्धि के लिए छठी माता का पूजन करती है. छठ व्रत करने से घर सुख समृद्धि, संतानों की उन्नति आरोग्यता धन-धान्य की वृद्धि होती है. इस बार कृतिका नक्षत्र एवं प्रीति योग में नहाय खाय के साथ चैती छठ का चार दिनों का महापर्व शुरू हो गया है. सात अप्रैल गुरुवार को व्रती पूरे दिन उपवास रह कर सायं काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे.

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छठ पूजा विधि

पूरे दिन निराहार और निर्जला व्रत रख शाम के समय नदी या तालाब में जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लें. इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें. इस दौरान थाली और दूध गिलास ले लें. इसके साथ ही फलों में नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन जरूर रखें. इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू भी रखें. सभी सामग्रियां टोकरी में सजा लें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में एक दीपक भी जला लें. इसके बाद नदी में उतर कर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

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