मणिपुर में हिंसा में फंसे 164 से अधिक बिहार व झारखंड के स्टूडेंट्स मंगलवार 11 बजे दिन में पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो के विशेष विमान से लौटे. इनमें राज्य के अलग-अलग जिलों के स्टूडेंट शामिल थे, जिन्हें एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने गुलाब देकर स्वागत किया गया. घर लौटने वाले स्टूडेंट्स के चेहरे पर उत्साह था. छात्रों को लेने के लिए उनके पैरेंट्स भी एयरपोर्ट पर पहुंचे हुए थे. एयरपोर्ट पर इंतजार कर रहे सभी पैरेंट्स ने अपने बच्चे के घर पहुंचने के बाद राहत की सांस ली और उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काे धन्यवाद और आभार व्यक्त किया.
मंगलवार सुबह 8:40 बजे इंफाल से छात्रों को लेकर फ्लाइट पटना एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी. यह फ्लाइट करीब 11 बजे पटना पहुंची. इसमें 21 स्टूडेंट्स झारखंड के थे, जिन्हें बस से रांची भेजा गया है. मणिपुर से स्टूडेंट्स को लाने की पूरी व्यवस्था बिहार सरकार ने की थी. इसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद अधिकारियों को निर्देश दिया था.
लौटने वाले विद्यार्थी एनआइटी मणिपुर, ट्रिपल आइटी मणिपुर, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (सिपेट) इंफाल, नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी इंफाल, सेंट्रल कृषि यूनिवर्सिटी इंफाल, क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान इंफाल, फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन इंस्टीट्यूट मणिपुर में पढ़ते हैं. बिहार के ये स्टूडेंट्स सुरक्षित निकालने की लगातार गुहार लगा रहे थे. इन स्टूडेंट्स को कॉलेज प्रशासन ने भी घर जाने के लिए कहा. हालांकि, स्टूडेंट्स ने कहा कि कॉलेज प्रशासन हमारे के साथ हमेशा खड़ा रहा. हर जरूरतों को पूरा किया जा रहा था.
सभी संस्थानों ने अभी एक माह तक ऑनलाइन पढ़ाई का नोटिस जारी कर दिया है. लगभग सभी संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई अगले सप्ताह से शुरू की जायेगी. इसके बाद स्थिति को देखते हुए स्टूडेंट्स को कैंपस में बुलाया जायेगा. बिहार के साथ-साथ मणिपुर के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ने वाले देश के सभी राज्यों के स्टूडेंट्स को घर भेजा जा रहा है. शिक्षण संस्थान एक माह तक इन सभी स्टूडेंट्स को घर जाने के लिए कह दिया है.
सुरक्षित लौटने के बाद एयरपोर्ट पर स्टूडेंट्स ने कहा कि वे लगातार बम विस्फोट और समुदायों से जुड़े संघर्षों से डर गये थे. वहां हालात बहुत खराब हैं. कैंपस के आस-पास लगातार बमबाजी हो रही थी. हमलोग बहुत डरे हुए थे. रात को सो नहीं पाते थे. हिंसा के कारण खाने और पीने के पानी की समस्याएं होने लगी थीं. वहीं, अपने छात्रों के घर वापस आने पर परिवार के सदस्यों ने भी राहत की सांस ली.
सुबह से एयरपोर्ट पर आ गयी थी. बच्ची पहली बार घर से बाहर गयी थी. इस तरह के माहौल देख कर डरी हुई थी. घर में सभी लोग चिंतित थे. अब सभी को राहत मिली है. -बेबी कुमार, पटना
बहन तीन मई से लगातार फोन कर रही थी. डरी हुई थी. इंटरनेट नहीं चल रहा था. किसी तरह बात हो जा रही थी. सबसे जरूरी पानी पर संकट हो गया था. रात से ही परेशान थी. अब खुशी मिली है. वो 23 अप्रैल को ही पटना से मणिपुर गयी थी, लेकिन वहां जाने के बाद से ही डर कर कैंपस में समय काट रही थी. - सलोनी कुमार, पटना
बेटे का एडमिशन 2022 में ही ट्रिपल आइटी मणिपुर में कराया था. वह बहुत परेशान था. घर वापस आने की खुशी है. लगातार परेशान थी. फ्लाइट का टिकट काफी महंगा था. लेकिन सरकार की पहल सराहनीय रही. - पिंकी देवी, मुजफ्फरपुर
बेटे को लेकर तीन मई से लगातार परेशान था. मुजफ्फरपुर से रात को ही पटना चला आया था. लगातार अपडेट ले रहा था. कैंपस में सबसे ज्यादा खाने-पीने का संकट था. -अशोक पासवान, मुजफ्फरपुर
मेरा बेटा नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहा था. हिंसा के बाद हम लोग डर गये थे. तीन मई के बाद से वह ज्यादा परेशान हो गया था. - प्रेमा कुमारी, पटना
बहन को यहां रिसीव करने के लिए आयी हूं. पूरा परिवार परेशान था. कैसे वहां से आये यही घर वाले परेशान थे. सरकार ने बेहतर प्रयास किया है. अब खुशी मिली है. - अंशिका, मोतिहारी
कैंपस के बाहर का माहौल काफी खराब हो गया था. पानी की दिक्कते होने लगी थी. इंटरनेट बंद होने से परेशानी भी बढ़ गयी थी. - माधव, ट्रिपल आइटी, मणिपुर
कैंपस में लगातार खाना कम होता जा रहा था. खाने के स्टॉक खत्म हो रहा था, जिससे परेशानी बढ़ती जा रही थी. कॉलेज प्रशासन से घर जाने के लिए बोल दिया था, लेकिन हम लोग निकल नहीं पा रहे थे. - राहुल कुमार, आरा
कई रात नहीं सोया. खाना तक भरपेट नहीं खाया. किसी तरह बस एक कमरे तक सिमट कर रह गये थे. बाहर कैंपस में भी टहलना बंद हो गया था. - प्रदीप ओझा, आरा
तीन मई से परेशानी ज्यादा बढ़ गयी थी. सभी लोग डर गये थे. घर लौटने पर काफी खुशी मिली. अब सही तरीके से पढ़ाई हो पायेगी. स्थिति सही होने पर वहां जाऊंगा. - राहुल, भागलपुर
वहां भोजन की बड़ी समस्या थी. हर दिन हालात खराब होते जा रहे थे. पानी सही से नहीं मिलता था. पीने के लिए पानी की सलाइ भी बंद हो गयी थी. इधर दो दिन से पानी सही से आने लगा था. - नीतीश कुमार, सासाराम
एनआइटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा हूं. हिंसा के बाद से हम कई लोग सही से सो नहीं पा रहे थे. अलग-अलग राज्यों के स्टूडेंट्स पहले ही निकल गये थे. इस कारण डर और भी ज्यादा लगने लगा था, लेकिन सरकार ने हम सभी लोगों को निकाला. यह अच्छी पहल थी. - श्रीधर कुमार, बेगूसराय
जब हिंसा शुरू हुई, तो फ्लाइट के टिकट के दाम तीन हजार से बढ़ कर 15 हजार रुपये हो गये. कई लोगों के पास पैसे नहीं थे कि वे 15 हजार रुपये खर्च कर घर जा सकें. इस कारण हम लोग फंसे हुए थे. - गौरव, वैशाली
तीन मई से स्थिति ज्यादा खराब हो गयी. कैंपस के बाहर हिंस बढ़ गयी थी. कई बम कैंपस में भी गिरे थे. स्थिति बहुत खराब थी. डर के साये में जी रहा था. - त्रिपुरारि शर्मा, पटना
शुरू में घर जाना चाहा, लेकिन फ्लाइट का टिकट बहुत महंगा हो गया था. सरकार से गुहार लगायी गयी. सरकार ने सही फैसला लेते हुए सभी स्टूडेंट्स को वापस ले आयी है, यह अच्छी बात है. लौटने की काफी खुशी है. - निधि कुमारी, गया
सोमवार को कैंपस की स्थिति सही हुई थी. बिहार सरकार की मदद से वहां से नेताओं ने पानी और खाना कैंपस में भेजवाया था. पानी का संकट सबसे ज्यादा थी. - गणेश कुमार, पटना
हालात को देखते हुए कई स्टूडेंट्स पहले ही घर चले गये थे. कई लोगों ने घर वालों से टिकट कराया. इंटरनेट बंद होने से समस्या ज्यादा बढ़ गयी थी. कोई काम नहीं हो पा रहा था. - अमरेश कुमार, गया
घर लौट कर काफी खुशी महसूस हो रही है. बहुत ही डर गयी थी. 2022 में ही दूसरा शहर जाना हुआ था. इस तरह की हिंसा देख कर बिल्कुल डर गयी हूं. - आकृति कुमारी, पश्चिमि चंपारण
डर-डर कर वहां जी रही थी. घर लौटने की बेचैनी थी. हर दिन किसी तरह से कट रहा था. खाना-पानी की परेशानी हो गयी थी. सलाइ पूरी तरह से ठप थी. इंटरनेट बंद था. पढ़ाई भी नहीं हो पा रही थी. - नेहा सिंह, मोतिहारी
पटना के तन्नु सेंट्रल कृषि विवि में पढ़ती है. उनके घर वाले उन्हें रिसीव करने के लिए खाना और पानी लेकर एयरपोर्ट पर पहुंचे थे. स्टूडेंट्स को उतरते के साथ उनकी बेटी के कॉलेज के सभी सदस्यें को खाना-पानी दिया. स्टूडेंट्स खाना-पानी देख कर खुश हूं. स्टूडेंट्स ने कहा कि बहुत दिनों के बाद घर का खाना मिला है.
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