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Bihar News: जीपीएस की मदद से डॉल्फिनों पर रखी जायेगी नजर, डॉल्फिन प्रोजेक्ट पर खर्च होंगे 1500 करोड़

Bihar News: डॉल्फिन की आवाज मधुर होती है इसकी आवाज लोगों के कान तक पहुंचे इसकी भी व्यवस्था हो रही है. आगे मंत्री ने कहा की डॉल्फिन पर नजर रखने के लिए जीपीएस का सहारा लिया जायेगा.

पटना. गंगा में डॉल्फिन आजादी से अटखेली करे, इसकी संख्या में बढ़ोतरी हो. इसके लिए केंद्र सरकार जल्द ही डॉल्फिन पायलट प्रोजेक्ट लेकर आ रही है. इस कार्य के लिए 1500 करोड़ खर्च किये जायेंगे. जल्द ही मोदी सरकार इस योजना को लेकर सामने आने वाली है. उक्त बातें मंगलवार को डॉल्फिन दिवस के मौके पर सुंदरवन में आयोजित कार्यक्रम में ऑनलाइन संबोधन के दौरान वन, पर्यावरण व जलवायु तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण प्रणाली के केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहीं.

इन्होंने कहा की गंगा और कोसी में धीरे धीरे डॉल्फिन की संख्या बढ़ रही है. सुल्तानगंज से कहलगांव तक तीन वाच टावर बनाया जायेगा. पर्यटक को दूरबीन की सुविधा दी जायेगी. इससे वे नजदीक से डॉल्फिन को देख सके. डॉल्फिन की आवाज मधुर होती है इसकी आवाज लोगों के कान तक पहुंचे इसकी भी व्यवस्था हो रही है. आगे मंत्री ने कहा की डॉल्फिन पर नजर रखने के लिए जीपीएस का सहारा लिया जायेगा. वहीं पटना में डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बनाया जा रहा है.

आने वाले समय में भागलपुर में भी उप शोध केंद्र बने इसका प्रयास किया जायेगा. इसमें डॉल्फिन की मौत होती है तो इसकी वजह भी शोध सेंटर की ओर से खोजा जायेगा. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी का गंदा जल और अपशिष्ट गंगा में डाला जाता था इस पर हमारे प्रयास से रोक लगा है. केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ मिल कर डॉल्फिन को इको टूरिज्म से जोड़ने का प्रयास कर रही है. लोग डॉल्फिन को देखने आये इसके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है.

डॉल्फिन को देवता मान कर बचाया जाये : नीरज कुमार

पटना. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि डॉल्फिन को देवता मान कर उसकी सुरक्षा की जाये. पारिस्थितिकी संतुलन और जैव विविधता बनाये रखने के लिए सभी जीवों का इस धरा पर रहना जरूरी है. हमारी संस्कृति है कि हम शुरू से प्रकृति पूजक रहे हैं. बिहार में 1800 से 2000 की संख्या में वर्तमान में डॉल्फिन हैं.

जिन्हें बिहार में भगीरथ के नाम से भी लोग जानते हैं और उसको गंगा पुत्र के रूप में नमन करते हैं. उन्होंने ये बातें मंगलवार को डॉल्फिन दिवस पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कहीं. इसका आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और राष्ट्रीय डाॅल्फिन शोध केंद्र, पटना ने अरण्य भवन के संजय सभागार में किया था.

डॉल्फिन को ‘सुसु’ भी कहते हैं

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और जम्मू, कटरा के माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आरके सिन्हा ने बताया कि गंगा डॉल्फिन केवल मीठे पानी में रह सकती है. यह वास्तव में दृष्टिहीन होती हैं. इन्हें ‘सुसु’ भी कहा जाता है. डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव पांच अक्तूबर 2009 को घोषित किया गया था.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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